पहली कामर्शियल कोर्ट का पहला फैसला हारी प्रदेश सरकार, दावा खारिज

मेडिकल कालेज से रामादेवी क्रासिंग तक सड़क चौड़ीकरण की बढ़ी लागत भुगतान का मामला, 55 लाख रुपये के मामले में पीडब्ल्यूडी ने दी थी चुनौती।

By Edited By: Publish:Sat, 15 Dec 2018 01:35 AM (IST) Updated:Sat, 15 Dec 2018 04:40 PM (IST)
पहली कामर्शियल कोर्ट का पहला फैसला हारी प्रदेश सरकार, दावा खारिज
पहली कामर्शियल कोर्ट का पहला फैसला हारी प्रदेश सरकार, दावा खारिज
कानपुर [आलोक शर्मा]। प्रदेश की पहली कामर्शियल कोर्ट के पहले फैसले में प्रदेश सरकार को हार का सामना करना पड़ा है। अपने पहले निर्णय में कामर्शियल कोर्ट ने सरकार के दावे को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया। मामला मेडिकल कालेज चौराहा से रामादेवी क्रासिंग तक सड़क चौड़ीकरण से जुड़ा है, जो तय समय के बाद पूरा हुआ था और ठेकेदार फर्म ने बढ़ी लागत के भुगतान की मांग की थी।
दिल्ली की फर्म मेसर्स सत्य प्रकाश एंड ब्रदर्स प्राइवेट लिमिटेड को मेडिकल कालेज चौराहा से रामादेवी क्रासिंग तक सड़क चौड़ीकरण का ठेका करीब 10.80 करोड़ रुपये में 21 जनवरी 2006 को दिया गया। कार्य 23 जुलाई 2007 तक पूरा किया जाना था लेकिन नहीं हो पाया। फर्म ने जनवरी 2006 से दिसंबर 2006 के बीच किए गए कार्य में मूल्य वृद्धि के अनुसार बढ़ी लागत करीब 55.83 लाख रुपये की मांग की। इससे उत्पन्न विवाद को हल करने के लिए आर्बिट्रेटर नियुक्त किए गए।
आर्बिट्रेटर गुलजार सिंह ने फर्म द्वारा मांगी गई उक्त धनराशि के बिल को उचित मानते हुए डिक्री (आदेश) पारित कर दिया। इस संबंध में आर्बिट्रेटर की डिक्री को यूपीपीडब्ल्यूडी नेशनल हाईवे के चीफ इंजीनियर ने सरकार की ओर से वाणिज्यिक न्यायालय में चुनौती दी। अधिवक्ता संजय पारस ने बताया कि प्रदेश सरकार और फर्म का पक्ष सुनने के बाद वाणिज्यिक न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अली जामिन ने एवार्ड के विरुद्ध सरकार द्वारा प्रस्तुत तर्क बलहीन पाते हुए निरस्त कर दिया।
हाईकोर्ट में दी जा सकेगी चुनौती
विशेष वाणिज्यिक न्यायालय होने के चलते यहां से पारित निर्णय को अपीलीय न्यायालय अथवा हाईकोर्ट में ही चुनौती दी जा सकेगी। अधिवक्ता विक्रम सिंह ने बताया कि निर्णय के विरोध में जिले की अदालत में अपील का कोई प्रावधान नहीं है। 
तीन लाख से अधिक के मामले सुने जाएंगे
सरकार ने वर्ष 2015 में एक्ट बनाते समय एक करोड़ से अधिक के विवादों की सुनवाई का प्रावधान किया था लेकिन मई 2018 में एक्ट को संशोधित कर तीन लाख रुपये कर दिया गया था। 
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