IDBI बैंक प्रबंधक, लोन अधिकारी समेत आठ पर मुकदमा, जानिए क्या है पूरा मामला Kanpur News

बैंक के उप महाप्रबंधक ने कानपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है पुलिस ने जांच शुरू की है।

By AbhishekEdited By: Publish:Sat, 07 Sep 2019 09:18 AM (IST) Updated:Sat, 07 Sep 2019 09:18 AM (IST)
IDBI बैंक प्रबंधक, लोन अधिकारी समेत आठ पर मुकदमा, जानिए क्या है पूरा मामला Kanpur News
IDBI बैंक प्रबंधक, लोन अधिकारी समेत आठ पर मुकदमा, जानिए क्या है पूरा मामला Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। आइडीबीआइ बैंक के ही तत्कालीन अधिकारियों ने चार फर्म मालिकों से मिलीभगत कर बैंक को 2.30 करोड़ रुपये की चपत लगा दी। फर्मों को जो लोन जारी किया गया था, आरोपितों ने उसमें से एक भी पैसे का भुगतान नहीं किया। बैंक के उप महाप्रबंधक रूपेश शंकर ने कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। इसमें फर्म के छह मालिकों के साथ तत्कालीन प्रबंधक, ऋण अधिकारी भी नामजद कराए हैं।

इस तरह किया गया खेल

सिविल लाइंस स्थित आइडीबीआइ बैंक के उप महाप्रबंधक व शाखा प्रमुख रूपेश शंकर के मुताबिक चकेरी के देहली सुजानपुर निवासी उमेश चंद्र यादव ने मेसर्स बालाजी एग्रो प्रोडक्ट्स नाम से फर्म पंजीकरण कराकर चावल के थोक व फुटकर बिक्री के कार्य के लिए 19 सितंबर 2015 को 50 लाख रुपये लोन के लिए आवेदन किया था। तत्कालीन शाखा प्रबंधक गौरव मेहरोत्रा ने तत्कालीन ऋण अधिकारी अमित कुमार जायसवाल की संस्तुति पर 12 अक्टूबर 2015 को लोन जारी कर दिया।

इसके बाद उमेशचंद्र ने उसी पते पर अपने भाई दिनेश कुमार के नाम से मेसर्स बजरंग इंडस्ट्रीज, पत्नी मंजु देवी के नाम से मेसर्स पूर्वांचल इंडस्ट्रीज, राजेंद्र कुमार के नाम पूर्वांचल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेडिंग कंपनी और लच्छुवापुरवा निवासी अखिलेश यादव के नाम से मेसर्स एके इंडस्ट्रीज एंड ट्रेडर्स फर्में खोलकर अक्टूबर 2015 से अप्रैल 2016 के बीच 50-50 लाख रुपये के चार लोन ले लिए। एके इंडस्ट्रीज में अखिलेश की पत्नी अनीता गारंटर थीं। इसके बाद बजरंग इंडस्ट्रीज के नाम पर 30 लाख रुपये का लोन अप्रैल 2016 को जारी कराया।

बैंक की जांच में सामने आई हकीकत

उप महाप्रबंधक के मुताबिक कुछ समय बाद जब लोन खाता असंचालित हो गया तो बैंक ने जांच कराई। तब पता लगा कि आरोपितों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए सुनियोजित तरीके से तत्कालीन शाखा प्रबंधक व ऋण अधिकारी की मिलीभगत से लोन हासिल किया था। वर्तमान में लोन की राशि 2.74 करोड़ रुपये हो चुकी है और इस खेल में बैंक के अधिवक्ता, वैल्युअर व चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका भी संदिग्ध है। सीओ कोतवाली राजेश पांडेय ने बताया कि धोखाधड़ी, जालसाजी, अमानत में खयानत आदि धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

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