बाजार भाव बढ़ने की उम्मीद में खरीद धीमी

जिले में इस बार सरकारी गेहूं खरीद की रफ्तार धीमी है। भाव में खास अंतर न होने के कारण केंद्रों पर किसानों की आवक कम है। बाजार भाव 1750 से

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 May 2019 11:20 PM (IST) Updated:Wed, 22 May 2019 06:28 AM (IST)
बाजार भाव बढ़ने की उम्मीद में खरीद धीमी
बाजार भाव बढ़ने की उम्मीद में खरीद धीमी

जागरण संवाददाता, कन्नौज: जिले में इस बार सरकारी गेहूं खरीद की रफ्तार धीमी है। भाव में खास अंतर न होने के कारण केंद्रों पर किसानों की आवक कम है। बाजार भाव 1,750 से 1,785 रुपये प्रति क्विटल है जबकि सरकारी दाम 1,860 रुपये प्रति क्विटल है। इस कारण किसान सरकारी केंद्रों का रुख नहीं कर रहे हैं और बाहर गेहूं बेच रहे हैं। 15 दिन से न के बराबर केंद्रों पर खरीद हो रही। 4,40,000 क्विटल लक्ष्य के सापेक्ष 55 केंद्रों पर महज 1,70,000 क्विटल खरीद हो पाई है।

दाम बढ़ने की आस में किसान

बाजार भाव में खास अंतर न होने के कारण किसान सरकारी केंद्रों से बच रहे हैं। अधिकांश किसानों ने कटाई के बाद घरों पर गेहूं भंडारण कर रखा है। किसान सरकार बनने के बाद बाजार भाव बढ़ने के आसार बता रहे हैं। वहीं, जरूरतमंद किसान ही तमाम मानकों से बचकर बाजार में गेहूं बेच रहे हैं। यहां बिना छनाई सफाई के सीखे नकद दाम मिल रहे हैं।

मंडल में चौथा स्थान, खरीद 41 फीसद

सभी जिलों की लगभग एक जैसी स्थिति है। कानपुर मंडल पर नजर डाले तो पहले नंबर पर फर्रुखाबाद है। वहां करीब 50 फीसद खरीद हुई है। दूसरे नंबर पर कानपुर नगर 46 फीसद, तीसरे पर इटावा 45 फीसद, चौथे नंबर पर कन्नौज 41 फीसद खरीद, पांचवें नंबर पर औरैया 36 फीसद व छठवें नंबर पर सबसे पीछे कानपुर देहात 34 फीसद खरीद है।

किसान ने बताया समस्या

जो रेट सरकारी हैं लगभग बाजार में भी उतने रुपये मिल रहे हैं। बिना किसी झंझट गेहूं खरीदा जाता है। साथ ही नकद रुपये मिलते हैं जबकि सरकारी में महीनों चक्कर लगाते हैं।

- महेंद्र वर्मा, डिग्सरा केंद्रों पर समस्या बनी रहती है। कभी बारदाना तो कभी भुगतान की। आगे बाजार भाव सरकारी से ज्यादा होगा। इसलिए गेहूं रोक रखा है। जो भाव बढ़ने पर बाहर बेचेंगे।

- जागेश्वर, ताखेपुरवा 15 दिन से गेहूं खरीद की रफ्तार धीमी है। अधिकांश किसान बाजार में गेहूं बेच रहे हैं, जबकि किसानों की सहूलित के लिए केंद्र खोले गए हैं। यहां बाजार से ज्यादा दाम मिल रहे हैं। किसानों को जागरूक कर रहे हैं।

-समरेंद्र प्रताप सिंह, जिला खाद्य विपणन अधिकारी।

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