शिव संग नाग पूजन देता है विशेष फल

By Edited By: Publish:Tue, 29 Jul 2014 10:11 PM (IST) Updated:Tue, 29 Jul 2014 10:11 PM (IST)
शिव संग नाग पूजन देता है विशेष फल

मछलीशहर (जौनपुर) : नाग भगवान शंकर के अंग भूषण माने गए हैं। नागपंचमी के दिन शिवजी के साथ ही नागों की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। विशेष उपासना से सर्प भय से मुक्ति के अलावा विद्या, आयु एवं कीर्ति में वृद्धि होती है। धर्मग्रंथों में नाग को शक्ति एवं सूर्य का अवतार माना गया है।

श्रावण मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन नाग का दर्शन व पूजन शुभ माना गया है। पर्व पर अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटिक एवं पिंगल पांच नागों की उपासना की जाती है। ज्योतिषी शैलेश मोदनवाल ने बताया कि इस व्रत के करने से आत्मा को सर्पयोनि से मुक्ति मिलती है। सर्पदोष से हुई मृत्यु वाले घर में आत्मा मुक्ति के लिए यह व्रत उपादेय है। ऐसी मान्यता है कि नाग पूजा करने वालों में सात पीढ़ी तक नागों का भय नहीं रहता है। कालसर्प योग से ग्रसित जातक की कुंडली निवारण हेतु शिवार्चन सहित नाग पूजन का विधान है।

पं.मुरारी श्याम पांडेय ने बताया कि आस्तीक ऋषि ने जनमेजय के सर्पयज्ञ से पातालवासी तक्षक को बचाया था, इसलिए आस्तीक पुकारने से सांप का क्रोध शांत होता है। नाग पंचमी के दिन गोबर का सांप बनाकर पूजा करने का भी विधान है। साथ ही नाग-नागिन का चांदी या तांबे का जोड़ा बनवाकर पूजनोपरांत जल में प्रवाहित करने से कालसर्प की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

गोष्ठी का आयोजन मेहरवां महादेव मंदिर पर हुआ। जिसमें पं.जय नारायण पांडेय, देवी प्रसाद मिश्र, सभाजीत तिवारी ने भी विचार व्यक्त किया। अध्यक्षता सच्चिदानंद चौबे तथा संचालन टीपी त्रिपाठी ने किया।

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