काम-धंधा बंद तो क्या गांव में खेतीबाड़ी कर लेंगे

जरूरत मंदो को प्रधान ने बाटा राशन सामग्री स सूत्र आटा कस्बा आटा में कोरोना वायरस से जो लोक डाउन हुया तो दूसरे राज्यो से आये लोगो को प्रधान ने राशन सामाग्री का वितरण किया जिससे लोग आराम से खाना खाकर रह सके रविवार की सुबह प्रधान आटा सत्यनारायण वर्मा ने दूसरे राज्यो से आये शिलाजीत और लौहपीटा जोकि गाव के वाहर टेंट में या अपने घरों में रहे है। उनको प्रधान आटा और भाजपा नेता अंजनी तिवारी ने 10 किलो आटा 5 किलो चावल मशाले दालें और साबुन का वितरण किया जिससे कि वह लोग आराम से भोजन कर सके।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Mar 2020 10:59 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2020 06:08 AM (IST)
काम-धंधा बंद तो क्या गांव में खेतीबाड़ी कर लेंगे
काम-धंधा बंद तो क्या गांव में खेतीबाड़ी कर लेंगे

जागरण संवाददाता, उरई : सिर पर मासूम, कंधे पर सामान से भरा बैग और पीछे चलते स्वजन। काम-धंधा बंद हुआ तो घर लौटने का जतन किया। साधन नहीं मिला तो पैदल ही चल दिए। हाईवे पर जो साधन मिला उस पर सवार हो गए। जहां उतारा, वहां से फिर मासूमों और बच्चों के साथ वीरान सड़क पर रास्ता नापा। किसी तरह उरई पहुंचने वालों ने अपना दर्द तो बयां किया पर हालात को देखते हुए हौसला नहीं तोड़ा। बस एक ही बात, कोई बात नहीं, खेती-बाड़ी कर लेंगे। यह भी बताया कि कुछ दिन बाद आना ही था, हां तकलीफ जरूर हुई पर हिम्मत नहीं टूटी है। जिला प्रशासन द्वारा कोंच बस स्टैंड पर उन लोगों को वाहनों से गंतव्य को भेज दिया गया, जो दूसरे जिलों के थे। करीब सात सौ लोग विभिन्न जगहों से पहुंचे, जिनको बस से भेजा गया। समाजसेवियों ने पानी और बिस्कुट आदि की व्यवस्था की। एसडीएम सत्येंद्र कुमार व सीओ संतोष कुमार ने शारीरिक दूरी बनाए रखने की कवायद की।

जिला मुख्यालय के कोंच बस स्टैंड पर रविवार की सुबह बड़ी संख्या में लोग विभिन्न साधनों से पहुंचे। उनकी संख्या भी ज्यादा थी, जो पैदल ही सफर करने को मजबूर हुए। नोएडा से आए झांसी के समथर निवासी अर्जुन अपनी पत्नी संगीता और आठ साल की बेटी चाहत के साथ बदहवास हालत में बैठे थे। बताया कि एक कंपनी में काम करते थे, बंदी के दौर में आना पड़ा। पैसे से खाली हो चुके थे। रास्ते में कई साधन बदले और लंबी दूरी पैदल भी तय की। पूरी रात भूख से तड़पता रहा बेटा

झांसी के टहरौली निवासी लाखन सिंह अपनी पत्नी श्रीकांती दिल्ली से पहुंचे। बोले, रास्ते भर चार साल के बेटे ऋषि को भूखा ही रखना पड़ा। कहीं दूध की व्यवस्था नहीं हो सकी। अब घर पहुंचकर ही उसका पेट भर सकेंगे। जो साधन मिले, उनके चालकों ने मुंह मांगा दाम वसूला। करीब पांच हजार रुपये किराए में ही खर्च हो गए। थककर चूर हो गया शरीर, निठाल होकर गए बैठ

आटा : बस स्टैंड पर रविवार दोपहर परासन निवासी अखिलेश उनकी पत्नी रोशनी के साथ निठाल होकर बैठे थे। यहां भी कोई वाहन नहीं मिला तो पैदल ही चल दिए। अखिलेश ने बताया कि दिल्ली से कई लोग ट्रैक्टर से यहां पहुंचे हैं, बाकी के लोग मध्य प्रदेश चले गए। भूखे पेट चले थे, बीच बीच में पुलिस द्वारा खाना मिला तो उसे खाकर यहां तक पहुंचे। नहीं हुई कहीं जांच, पहुंच गए घर

कंधे पर छोटा बच्चा और पीठ पर लदा सामान, शरीर थककर चूर। कुछ ऐसा ही नजारा दोपहर करीब साढ़े तीन बजे संधी गांव के रास्ते में दिखा। संधी निवासी प्रमोद कुमार, विनीता, शैलेंद्र, अंकुश, दीपू, माया, सुनील, सुमन पीठ पर बैग लादे थके कदमों से चले जा रहे थे। बताया कि तीन वर्षों से गोरखपुर में रहकर पानी पूड़ी का धंधा करते थे। उनके साथ कई लोग आए हैं, कहीं भी रास्ते या यहां पर जांच नहीं हुई है। होली पर गए थे परदेश फिर लौटे

कुठौंद : हरियाणा के नौरंगपुर में पानी पूड़ी का धंधा करने वाले प्रेमचंद पाल, नेकसिंह पाल, महेंद्र पाल, आरती, रविकांत, सोनू होली बाद ही गए थे। बताया कि किराए से कमरा व भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया। कुछ दूर पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे और वहां से बस से आगरा फिर कुछ डग्गामार वाहनों से चलकर औरैया पहुंचे, वहां से पैदल ही अपने घर कदौरा के कठपुरवा व ग्राम सरसेला जा रहे हैं। सीएचसी में उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

जालौन : मोहल्ला धर्मशाला निवासी रघुवीर राठौर अपनी पत्नी कमला व पुत्र रोहित व मोहित के साथ बलिया में रहकर काम करते हैं। घर आने पर वह रास्ते में हुई परेशानियों को भूल गए। कहा कि कोई बात नहीं, जान है तो जहान है। यहीं पर खेती-बाड़ी कर गुजरबसर कर लेंगे।

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