डेढ़ सौ वर्ष पुराने जर्जर मंदिर में पढ़ते बच्चे

संवाद सहयोगी, कालपी : राजकीय कन्या सीनियर बेसिक स्कूल के लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराने जर्जर मंि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 31 Aug 2018 06:17 PM (IST) Updated:Fri, 31 Aug 2018 06:17 PM (IST)
डेढ़ सौ वर्ष पुराने जर्जर मंदिर में पढ़ते बच्चे
डेढ़ सौ वर्ष पुराने जर्जर मंदिर में पढ़ते बच्चे

संवाद सहयोगी, कालपी : राजकीय कन्या सीनियर बेसिक स्कूल के लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराने जर्जर मंदिर मे संचालित हो रहा है। जहां पढ़ने वाली छात्राओं को हर समय स्कूल गिरने का डर सताता रहता है।

मंदिर मे बने इसके कक्षों में बीम क्षतिग्रस्त हैं और लेंटर कई स्थानों पर लटक रहा है व दीवारों में दरारें भी हैं। इस विद्यालय में कुल 75 छात्राएं नामांकित हैं जिन्हें पढ़ाने के लिये मात्र एक शिक्षक ही तैनात है। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा एक से आठ संचालित होने वाले इस विद्यालय में छात्राओं को बैठने के लिए बेंच तक उपलब्ध नहीं हैं। जिससे बच्चों को टूटे फर्श पर बैठना पड़ता है। पेयजल व शौचालय की भी समुचित व्यवस्था नहीं है।

सनद रहे कि सोमवार को गुलौली में गिरी प्राथमिक विद्यालय की छत के मलबे से दो छात्राएं और शिक्षक घायल हो गए थे लेकिन फिर भी विभाग ने ध्यान नहीं दिया। छात्रों की जान जोखिम में डालकर डेढ़ सौ वर्ष पुराने जर्जर मंदिर में विद्यालय चल रहा है। जो बारिश मे कभी भी धराशायी हो सकता है।

यह विद्यालय केवल बानगी है। सर्वशिक्षा अभियान के जरिए करोड़ों की धनराशि फूंक कर स्कूलों की साज सज्जा किए जाने का दावा किया जाता है लेकिन तहसील क्षेत्र में दो-चार नहीं करीब आधा सैकड़ा से अधिक परिषदीय विद्यालयों में हालत यह है कि बच्चों को जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। वहीं मोहल्ले के अपूर्व, शरद श्रीवास्तव, कौशलेंद्र ¨सह, मलखान पाल, राजेश द्विवेदी कहते हैं कि समस्याओं पर कोई गौर नहीं करता। विद्यालय में पढ़ने वाली कुंती, ममता, कुमकुम, रोशनी ने कहा कि स्कूल भवन की मरम्मत का ध्यान प्राथमिकता पर रखा जाना चाहिए।

राजकीय विद्यालय की प्रधानाध्यापक शोभा देवी कहती हैं कि भवन जर्जर होने की शिकायत कई बार की लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह बीते 25 वर्ष से यहां पढ़ा रही हैं। यह कह दिया जाता है कि बच्चों को भवन के अंदर न बैठाओ। इस संबंध में बीएसए राजेश कुमार शाही का कहना है कि दो तीन स्थानों पर विद्यालय भवन नहीं है उसके लिए डिमांड की गई है। जल्दी ही समस्या का निराकरण कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है।

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