नारद मोह की लीला का मंचन देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

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By JagranEdited By: Publish:Thu, 31 Oct 2019 10:55 PM (IST) Updated:Fri, 01 Nov 2019 06:27 AM (IST)
नारद मोह की लीला का मंचन देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
नारद मोह की लीला का मंचन देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

मल्लावां: श्री रामलीला महोत्सव भगवन्तनगर में नारद मोह व मन सतरूपा की लीलाओं का मंचन देख दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। कार्यक्रम का शुभारंभ विधायक आशीष कुमार सिंह ,आशू, ने भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, हनुमान जी एवं रामायण का पूजन अर्चन कर किया।

चित्रकूट धाम के आदर्श रामलीला मंडल के कलाकारों ने नारद मोह, मन सतरूपा की लीलाओं का मंचन किया। नारद जी ने घोर तपस्या का कर काम पर विजय प्राप्त की। जिस कारण उनको अहंकार आ गया। काम पर विजय प्राप्त करने की सूचना नारद जी ने सर्वप्रथम भगवान शंकर को दी तत्पश्चात ब्रह्मा जी को एवं विष्णु जी को दी। भगवान विष्णु ने नारद जी का अहंकार तोड़ने के लिए श्रीनगर का नमक काल्पनिक नगर का निर्माण किया। जिसमें विष्णु जी श्री हरि का रूप धारण कर एवं माता लक्ष्मी जी विष्णु मोहिनी का रूप धारण किया। नारद जी ने विश्व मोहिनी के स्वयंवर में पहुंच गए। विश्व मोहिनी की हस्तरेखा देखी, हस्त रेखा देखते समय नारद जी विष्णु मोहिनी की सुन्दरता पर मोहित हो गए और विष्णु जी के पास विष्णु मोहिनी से विवाह करने हेतु श्री हरि का रूप मांग लिया। हरि का रूप धारण कर नारद जी विष्णु मोहिनी के स्वयंवर में सम्मिलित हुए जहां उनका उपहास हुआ एवं विश्व मोहिनी का विवाह श्रीहरि के साथ संपन्न हो गया। इधर उपहास होने का कारण पता चलने पर नारद जी क्रोधित हो गए और उन्होंने विष्णु जी को श्राप दे दिया। जब नारद जी का क्रोध को शांत हुआ तो उन्हें अपने किए गए कार्य पर पछतावा हुआ। इस प्रकार श्रीहरि ने नारद जी का अहंकार तोड़ा। इधर महाराज मनु अपने पुत्र उत्तानपाद को राजपाट सौंप कर जंगल में तपस्या करने के लिए चले गए। घोर तपस्या करने के पश्चात भगवान विष्णु से उनके जैसा पुत्र त्रेतायुग में प्राप्त होने का वरदान प्राप्त हुआ। प्रथम दिवस की लीला का दर्शन कर दर्शक भाव विभोर हो गए। इस अवसर पर समिति के संरक्षक सुरेश कुमार पांडे, अभय शंकर शुक्ला, महामंत्री भास्कर मिश्र, अशोक कुमार दीक्षित, विनोद कुमार, राजेश कुमार, श्याम नारायण आदि लोग उपस्थित रहे।

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