फैक्ट्रियों के बंद होने से करोड़ों का कारोबार प्रभावित

संजीव वर्मा पिलखुवा (हापुड़) टेक्सटाइल सेंटर में स्थित फैक्ट्रियों के बंद होने से देश को वि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 04 Apr 2021 10:07 PM (IST) Updated:Sun, 04 Apr 2021 10:07 PM (IST)
फैक्ट्रियों के बंद होने से करोड़ों का कारोबार प्रभावित
फैक्ट्रियों के बंद होने से करोड़ों का कारोबार प्रभावित

संजीव वर्मा, पिलखुवा (हापुड़): टेक्सटाइल सेंटर में स्थित फैक्ट्रियों के बंद होने से देश को विदेशी मुद्रा के नुकसान होने की संभावना है। यहां स्थित अधिकांश फैक्ट्रियों से बड़े स्तर पर यूरोप में माल का निर्यात होता है। जो वर्तमान में रुका पड़ा है। माल का पेमेंट यूरोप से विदेशी मुद्रा में होता है। फैक्ट्रियों को बंद हुए रविवार को चौथा दिन भी बीत गया है। बावजूद इसके अभी तक दिल्ली या लखनऊ स्तर से कोई ठोस कार्रवाई सुनिश्चित नहीं हो सकी है।

राष्ट्रीय राजमार्ग नौ (पूर्व में एनएच 24) पर ग्राम डूहरी के निकट स्थित टेक्सटाइल सेंटर में स्थापित लगभग 80 फैक्ट्रियों पर विगत एक अप्रैल से ताला लगा है। एक अप्रैल को हापुड़- पिलखुवा विकास प्राधिकरण (एचपीडीए) ने टेक्सटाइल सेंटर में स्थापित एकीकृत जलशोधन संयंत्र (सीईटीपी) को बंद कर दिया था। बंद कराने के पीछे एचपीडीए का तर्क है कि दिसंबर 2020 में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की टीम ने सीईटीपी का निरीक्षण किया था। जिसमें कई खामियां मिली हैं। इसीलिए एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने सीईटीपी को अपग्रेड होने तक बंद करने के निर्देश दिए हैं। सीईटीपी बंद होने के चलते दूषित पानी गंगा तक न पहुंचे, इसके लिए फैक्ट्रियों का संचालन भी बंद करा दिया गया था। पिछले चार दिन से फैक्ट्रियों पर ताला लटका है। जिससे हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। फैक्ट्रियों के बंद होने के कारण करोड़ों के आर्डर प्रभावित हो रहे हैं।

टेक्सटाइल सेंटर में स्थित अधिकांश फैक्ट्रियों से यूरोप में गारमेंट्स, धागा आदि माल सप्लाई होता है। माल का भुगतान विदेशी मुद्रा में होता है। उद्यमियों की मानें तो एक-एक फैक्ट्री से लाखों का विदेशी मुद्रा में माल निर्यात होता है। पिछले चार दिन से फैक्ट्रियों की बंदी के चलते विदेशी मुद्रा का नुकसान हो रहा है। वहीं, करोड़ों के आर्डर प्रभावित हो रहे हैं। मेरी फैक्ट्री को अमेरिका से 94 हजार 500 डॉलर का धागे का आर्डर मिला है। माल का निर्यात मई माह तक करना है। लेकिन, फैक्ट्री बंद होने के कारण माल तैयार नहीं हो पा रहा है। इसके चलते समय से आर्डर पूरा करने की चिता सता रही है। ऐसी अनेकों फैक्ट्रियां है, जिनके पास विदेशों से करोड़ों के आर्डर हैं। जो पूरे नहीं हो पा रहे हैं। फैक्ट्रियों का संचालन शीघ्र शुरू नहीं हुआ तो देश को विदेशी मुद्रा की हानि झेलनी पड़ेगी।

-राजेंद्र सिंह चौहान, अध्यक्ष, पिलखुवा टेक्सटाइल सेंटर व्यापारी एसोसिएशन टेक्सटाइल सहित अन्य सामान के विदेशों में निर्यात होने के चलते प्राप्त होने वाली विदेशी मुद्रा से ही देश बाहरी देशों से तेल सहित आदि अन्य सामान खरीदता है। ऐसे में पिलखुवा के टेक्सटाइल सेंटर में स्थित फैक्ट्रियां भी देश को विदेशी मुद्रा दिलाने में सहायक बनी हुई हैं। फैक्ट्रियों के लंबे समय तक बंद होने के चलते देश को विदेशी मुद्रा संबंधित नुकसान झेलना पड़ सकता है।

-पंडित विकास शर्मा, संरक्षक, पिलखुवा टेक्सटाइल सेंटर व्यापारी एसोसिएशन - करोड़ों रुपये के आर्डर प्रभावित हो रहे हैं। यह जानकारी संज्ञान में है। लेकिन, जिला स्तर पर किसी तरह की कार्रवाई संभव नहीं है। हथकरघा उद्योग के प्रमुख सचिव तक मामला पहुंचा हुआ है। शासन स्तर से ही मामले में किसी तरह की कार्रवाई संभव है।

-पंकज निर्वाण, सहायक आयुक्त उद्योग

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