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    World TB Day 2023: गोरखपुर में पांव पसार रही टीबी, शहर में गांवों से दोगुणा मिल रहे रोगी, ये है बड़ी वजह

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Fri, 24 Mar 2023 11:17 AM (IST)

    गोरखपुर जिले में टीबी रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कोरोना काल के चलते 2020 में आठ हजार मरीज हो गए थे। लेकिन 2021 में 10 हजार व 2022 में 13 हजार रोगी मिले हैं। यह स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय है।

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    गोरखपुर में लगातार बढ़ रही टीबी रोगियों की संख्या। -जागरण

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर शहर का वातावरण टीबी की बीमारी (क्षय रोग) तेजी से फैलने में मदद कर रहा है। घनी बस्तियां, भीड़ और बचाव के उपायों का पालन न करना शहरियों पर भारी पड़ रहा है। गांवों की अपेक्षा लगभग दोगुणा रोगी शहर में मिल रहे हैं। पिछले वर्ष गांवों में 4699 और शहर में 8667 रोगी मिले थे।

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    ये है रोग बढ़ने की वजह

    विशेषज्ञों के अनुसार शहर में इस रोग के बढ़ने का मुख्य कारण बाजारों, बैंकों व चौराहों पर भीड़, जाम व घनी बस्तियां हैं। कोरोना संक्रमण काल में शारीरिक दूरी का पालन व मास्क का उपयोग करने, घरों से बाहर कम निकलने की वजह से क्षय रोग काफी कम हो गया था, लेकिन कोविड काल की सीख आचरण नहीं बन पाई और क्षय रोग पुन: तेजी से फैलने लगा है।

    ये है रोगियों के आंकड़े

    2019 में 12 हजार से अधिक क्षय रोगी मिले थे, जो कोरोना संक्रमण काल 2020 में घटकर आठ हजार हो गए, लेकिन 2021 से पुन: इनकी संख्या बढ़ने लगी है। 2021 में 10 हजार व 2022 में 13 हजार रोगी मिले हैं। इस वर्ष केवल दो माह में ही 2869 रोगी मिल चुके हैं। इतना ही नहीं पिछले वर्ष सक्सेज रेट भी 90 से घटकर 38 प्रतिशत पर आ गया है। अर्थात पहले की अपेक्षा अब रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार धीरे हो रहा है। विशेषज्ञ इसका कारण सफाई व स्वच्छता पर ध्यान नहीं देना बता रहे हैं। उनका कहना है कि उपचार से बेहतर बचाव है। इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है।

    9263 रोगियों का चल रहा उपचार

    जनवरी 2022 से अब तक 4575 मरीज ठीक हो चुके हैं। 9263 रोगियों का उपचार चल रहा है। सभी सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य संस्थानों और स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से शुक्रवार को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाएगा।

    क्या कहते हैं अधिकारी

    • बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी एवं चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉ. अश्विनी मिश्रा ने बताया कि जिले में 298 मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के रोगी हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में 500 एमडीआर रोगियों का उपचार चल रहा है, इनमें से 400 गले में गिल्टी व मवाद वाली टीबी से पीड़ित हैं। एमडीआर पहले फेफड़े की टीबी में देखने को मिलता था, लेकिन अब गले की गिल्टी एवं पूरे शरीर पर मवाद वाली टीबी के रोगी भी एमडीआर हो रहे हैं। उनका निश्शुल्क उपचार हो रहा है।
    • सीना रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम अर्शद ने बताया कि डब्लूएचओ ने टीबी की चार नई दवाएं सुझाई हैं। उम्मीद है कि शीघ्र ही सरकार इसे लागू कर देगी। अभी तक छह से नौ माह तक रोगियों को दवाएं खानी पड़ती हैं। नई दवाएं तीन से चार माह तक ही खानी पड़ेंगी और वह भी सप्ताह में सिर्फ एक दिन। दो माह तक चार व दो माह मात्र तीन दवा खानी पड़ेगी। 2025 तक सरकार के टीबी उन्मूलन का सपना साकार हो सकेगा।