वन विहार में 32 साल बाद बिजली पहुंचाने की कवायद

सौंदर्यीकरण के लिए भी शासन को भेजा गया प्रस्ताव शाम ढलने के बाद अंधेरे में डूब जाता है वन विहार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 06:53 AM (IST) Updated:Mon, 19 Oct 2020 06:53 AM (IST)
वन विहार में 32 साल बाद बिजली पहुंचाने की कवायद
वन विहार में 32 साल बाद बिजली पहुंचाने की कवायद

बस्ती : संत रविदास वन विहार में 32 साल बाद बिजली पहुंचाने की कवायद शुरू हुई है। सबकुछ ठीक रहा तो कुआनो का यह तटीय क्षेत्र बिजली की रोशनी से जल्द ही नहाएगा और रात में इस स्थल की मनोहारी छटा बिखेरेगी। बिजली न होने से शाम ढलने के बाद वन विहार घुप्प अंधेरे में गुम हो जाता है। अब यहां रोशनी की उम्मीद जग गई है।

वर्ष 1988 में तत्कालीन विधायक जगदंबिका पाल (वर्तमान में सांसद डुमरियागंज) के प्रयास से शहर से सटे कुआनो नदी के तटवर्ती जंगल भूभाग को वन विहार के रूप में विकसित किया गया था। यहां मनोरंजन के भरपूर संसाधन, पथ-वे, बोटिग आदि संसाधनों से लैस किया गया था। लेकिन बिजली कनेक्शन न होने से शाम ढलते ही यह बंद हो जाता है। इस स्थल की रमणीयता अंधेरे में छिप जाती है। अब सुखद बात यह है कि यहां बिजली पहुंचाने की प्रकिया शुरू हो गई है। लंबे इंतजार के बाद वन विहार के रोशनी से जगमग होने की उम्मीद जगी है।

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बनाया जा रहा लाइन निर्माण का मार्ग

वन विहार के मुख्य गेट से अंदर तक लाइन निर्माण का मार्ग तैयार किया जा रहा है। विभाग सड़क के किनारे स्थित झाड़-झंखाड़ एवं जंगली पेड़ों की कटान करा रहा है। इसके बाद लाइन निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। जनरेटर के सहारे रखवाली

वन विहार की रखवाली में तैनात कर्मचारियों को जनरेटर के सहारे रहना पड़ता है। कई-कई दिनों तक बजट के अभाव में तेल न मिलने से जनरेटर भी नहीं चल पाता है। जिससे कर्मचारी अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं। यह हैं बदहाली

कुआनो नदी की कल-कल प्रवाह, हरे भरे पेड़ों की बगिया और फूलों के उपवन से गुलजार रहने वाला यह अब वीरान हो गया है। पक्षियों की चहचहाहट गायब हैं। मछली घर कई साल से बंद हैं। झूले, टावर, खेलकूद के अन्य संसाधन, बोटिग आदि की सुविधा खत्म हो चुकी हैं। पार्क, छाजन सब अवशेष में तब्दील हो गया है। वन विहार में बिजली पहुंचाने की प्रक्रिया चल रही है। सौंदर्यीकरण के लिए भी शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट आवंटित होने पर बदहाली दूर की जाएगी।

नवीन प्रकाश शाक्य, डीएफओ बस्ती।

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