Lockdown 3.0: मुंबई से 2127 प्रवासियों को लेकर गोरखपुर पहुंचीं दो ट्रेनें Gorakhpur News

Lockdown 3.0 कोरोना वायरस के खौफ के साए में मुंबई से 2127 प्रवासियों को लेकर दो श्रमिक स्पेशल ट्रेनें गोरखपुर पहुंचीं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 05 May 2020 12:38 PM (IST) Updated:Tue, 05 May 2020 02:19 PM (IST)
Lockdown 3.0: मुंबई से 2127 प्रवासियों को लेकर गोरखपुर पहुंचीं दो ट्रेनें Gorakhpur News
Lockdown 3.0: मुंबई से 2127 प्रवासियों को लेकर गोरखपुर पहुंचीं दो ट्रेनें Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। Lockdown 3.0: कोरोना वायरस के खौफ के साए में मुंबई से 2127 प्रवासियों को लेकर दो श्रमिक स्पेशल ट्रेनें गोरखपुर पहुंचीं। भिवंडी से चली 24 कोच की विशेष ट्रेन रविवार को पहुंची, जिसमें 1145 लोग सवार थे। वसई रोड से चली 22 कोच की दूसरी विशेष ट्रेन सोमवार को पहुंची। इसमें 982 लोग सवार थे। 

सभी का हुआ स्वास्थ्य परीक्षण

प्लेटफार्म नंबर एक पर रुकीं ट्रेनों की बोगियों से कड़ी सुरक्षा के बीच प्रवासियों को नीचे उतारा गया। सभी का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ। शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए प्लेटफार्म पर पहले से मानक के अनुसार घेरे बनाए गए थे। नाम, गांव का नाम, मोबाइल नंबर दर्ज करने के बाद प्रवासियों को रोडवेज की बसों से गंतव्य तक भेजा गया। सैनिटाइज की हुई 85 बसें प्रवासियों को लेकर गोरखपुर और बस्ती मंडल सहित अन्य मंडलों के 21 जनपदों में पहुंचीं। सुबह आठ बजे तक सभी प्रवासियों को उनके गंतव्य की ओर रवाना करने के बाद जिला प्रशासन, सुरक्षा, स्वास्थ्य और रेलवे के अधिकारियों-कर्मचारियों ने राहत की सांस ली। ट्रेनें खाली होते ही सैनिटाइज की गईं। प्लेटफॉर्म पर भी दवा का छिड़काव किया गया।

खिचड़ी खाकर कर रहे थे गुजारा

प्लेटफॉर्म पर कामगारों और उनके परिजनों के पैर पड़ते ही बेजान शरीर में जैसे जान आ गई। मुरझाए चेहरों पर घर आने की खुशी साफ झलक रही थी। साथ ही पीले पड़ चुके चेहरे 40 दिन की पीड़ा को भी बयां कर रहे थे। कुरेंदने पर भी दबी आवाज बड़ी मुश्किल से मास्क से बाहर निकल पा रही थी। बोले, हम तो घर आने की उम्मीद छोड़ चुके थे। सरकार ने सुन ली। खुली हवा में सांस लेकर अ'छा लग रहा है। सिद्धार्थनगर की सदुनिसा ने बताया कि पति मजदूरी करते हैं। राशन भी समाप्त हो गया था। दस दिन से खिचड़ी खाकर गुजारा कर रहे थे। ब'चों को संभालना मुश्किल हो गया था। कोई पूछने वाला नहीं था। अब लग रहा घर पहुंच गए हैं। जिंदगी दोबारा मिल गई है।

नाला सोपारा में कैंप लगा तो मैं भी दौड़ कर गया। पता चला गोरखपुर ट्रेन जाएगी। तुरंत नाम लिखवाकर टिकट ले लिया। वहां बीमारी खूब फैल रही है। डर लग रहा था। - रामानंद मौर्य, सिद्धार्थनगर

एक ही गांव के नौ लोग गोरखपुर आए हैं। 35 हजार रुपये रखे थे, जो खर्च हो गए। घर आने की उम्मीद टूट रही थी। टीवी पर पता चला, ट्रेन गोरखपुर जायेगी। सरकार ने अ'छा कार्य किया है। - अंकुर साहू, सुल्तानपुर

घर की याद आने लगी थी। वहां कोई सहयोग करने वाला नहीं था। राशन और पैसा खत्म हो गया था। कंपनी वाले ने भी कह दिया था घर चले जाओ। अब तो गांव में ही खेती करूंगा। - संदीप यादव, सुल्तानपुर

रेलवे ने वसूले 740 रुपये, रोडवेज ने मुफ्त में पहुंचाया

मजदूर रेलवे को पूरा किराया देकर गोरखपुर पहुंचे हैं। रेलवे ने प्रत्येक टिकट पर 740 रुपये वसूला है। रजिस्ट्रेशन के बाद स्टेशन के बाहर ही प्रवासियों का टिकट बुक कर दिया गया। हालांकि, प्रवासियों को कानपुर में रेलवे ने भोजन कराया। वहीं गोरखपुर पहुंचे यात्रियों को रोडवेज ने मुफ्त में घर तक पहुंचाया। रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक डीवी सिंह के अनुसार किसी भी प्रवासी से कोई किराया नहीं लिया गया है।

गुजरात से प्रवासियों को लेकर गोरखपुर पहुंचेगी श्रमिक स्पेशल

गुजरात के नडियाड से प्रवासियों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन मंगलवार को दोपहर बाद गोरखपुर पहुंचेगी। सोमवार को यह ट्रेन शाम 6 बजे नडियाड से प्रवासियों को लेकर रवाना हुई। 24 कोच वाली इस ट्रेन में लगभग एक हजार लोग सवार हैं। ट्रेन और प्रवासियों को लेकर जिला प्रशासन, सुरक्षा, स्वास्थ्य और रेलवे ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। प्लेटफार्म नंबर एक की सुरक्षा और सफाई व्यवस्था पहले से ही चाकचौबंद है। जानकारों के अनुसार प्रदेश सरकार ने गुजरात से बलिया के लिए भी एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की है। एक से दो दिन में यह ट्रेन गुजरात से बलिया के लिए चल देगी।

पांच हजार और पीपीई किट बनाएगा रेलवे कारखाना

कोरोना वायरस से दो-दो हाथ करने के लिए रेलवे कारखाने में युद्धस्तर पर सुरक्षा उपकरण तैयार किए जा रहे हैं। कारखाना प्रबंधन ने 30 अप्रैल तक पांच हजार पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट तैयार कर लिया है। अब पांच हजार और पीपीई किट बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रबंधन ने सामग्री की खरीदारी कर ली है। निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है। सिर्फ यांत्रिक कारखाने में ही 20 हजार मास्क तैयार किए गए हैं। आवश्यकतानुसार फेश शील्ड का निर्माण भी चलता रहता है। निर्माण के साथ सुरक्षा उपकरणों का वितरण भी सुनिश्चित किया जा रहा है। 

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