नेपाल में बारिश से सिद्धार्थनगर में बाढ़

नेपाल में लगातार हो रही मूसलधार बारिश से डुमरियागंज क्षेत्र में बाढ़ आ गई है। पश्चिमी नेपाल के प्यूठान से निकली राप्ती नदी यहां एक बार फिर उफान पर है और तेजी से कटान कर रही है। बाढ़ से तहसील के लगभग 15 गांव प्रभावित हुए हैं। एक गांव के तो अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 11:17 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 11:17 PM (IST)
नेपाल में बारिश से सिद्धार्थनगर में बाढ़
नेपाल में बारिश से सिद्धार्थनगर में बाढ़

सिद्धार्थनगर: नेपाल में लगातार हो रही मूसलधार बारिश से डुमरियागंज क्षेत्र में बाढ़ आ गई है। पश्चिमी नेपाल के प्यूठान से निकली राप्ती नदी यहां एक बार फिर उफान पर है और तेजी से कटान कर रही है। बाढ़ से तहसील के लगभग 15 गांव प्रभावित हुए हैं। एक गांव के तो अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है।

बलरामपुर जिले को जोड़ने वाले सिंगारजोत- शाहपुर मार्ग पर नदी के पानी का दबाव बना हुआ है। नदी का जलस्तर कम नहीं हुआ तो पानी कभी भी मार्ग पर चढ़ सकता है। डुमरियागंज क्षेत्र के बनगाई नानकार गांव से कुछ दूरी पर बहने वाली राप्ती नदी तेजी से कटान करते हुए अब गांव के निकट पहुंच चुकी है। नदी और गांव के बीच बमुश्किल 20 मीटर की दूरी रह गई है। इसके अलावा रमवापुर उर्फ नेबुआ, धनोहरा, पेड़ारी, मछिया, डुमरिया, वीरपुर, असनहरा, चंदनजोत, बामदेई, पिकौरा, बेतनार, जूड़ीकुइयां, नेहतुआ, राउतडीला, मन्नीजोत सहित कई अन्य तटवर्ती गांवों में एक बार फिर पानी घुस गया है। लगभग डेढ़ माह पहले भी राप्ती की बाढ़ में कृषि योग्य काफी भूमि डूब गई थी। उस समय कटान रोकने के लिए जिला प्रशासन ने सिंचाई विभाग को मिट्टी भरी बोरियां लगवाने का निर्देश दिया था, लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ और इस लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ सकता है। राप्ती की बाढ़ से सुरक्षा के लिए बनाए गए शाहपुर- भोजपुर बांध का गैप भी भरा नहीं जा सका है। मन्नीजोत गांव के आलोक तिवारी, मनोज कुमार व छोटे यादव कहते हैं कि प्रशासन की लापरवाही से समस्या बढ़ी है। डेढ़ माह पहले आ चुकी बाढ़ के बाद भी प्रशासन और विभाग ने कोई सबक नहीं लिया।

डुमरियागंज के एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि नदी के जलस्तर पर नजर रखी जा रही है। बांध की मरम्मत के लिए 74 करोड़ रुपये अवमुक्त हो चुके हैं। अगले माह से सिचाई विभाग कार्य शुरू कराएगा। गैप भरने का भी कार्य कराया जाएगा, इसके लिए भूमि का अधिग्रहण भी किया जाना है। प्रभावित गांवों में नाव की व्यवस्था करा दी गई है।

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