यहां दबा है प्राचीन इतिहास का खजाना, पुरातत्व विभाग की टीम ने डाला डेरा

बस्ती जिले के गौर ब्लाक के महुआडाबर ग्राम पंचायत में स्थित ऐतिहासिक भुइलाडीह टीले में प्राचीन कालीन इतिहास का रहस्य छिपा हो सकता है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 22 Jan 2019 01:46 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jan 2019 09:22 AM (IST)
यहां दबा है प्राचीन इतिहास का खजाना, पुरातत्व विभाग की टीम ने डाला डेरा
यहां दबा है प्राचीन इतिहास का खजाना, पुरातत्व विभाग की टीम ने डाला डेरा

गोरखपुर, जेएनएन। बस्ती जिले के गौर ब्लाक के महुआडाबर ग्राम पंचायत में स्थित ऐतिहासिक भुइलाडीह टीले में प्राचीन कालीन इतिहास का रहस्य छिपा हो सकता है। दो दिन पूर्व यहां आई पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा टीले से एकत्र मिट्टी के बर्तन, पत्थर व ईंट के टुकड़े फिलहाल यही संकेत दे रहे हैं।

स्थानीय गांवों में प्रचलित किवदंतियों पर यदि ध्यान दें तो लोग इसे भगवान बुद्ध के काल से जोड़ कर देखते हैं। जमीन से लगभग 30 फीट ऊंचाई पर 50 एकड़ में फैले इस टीले के चारो तरफ जलाशय है। पौने 400 बीघा का तालाब भुइला ताल के नाम से प्रसिद्ध है। 100 एकड़ में दूसरी तरफ छोटे- छोटे तालाबों की श्रृखंला है। एक बार ग्रामीणों द्वारा तालाब से मिट्टी निकालते समय 15 से 20 फीट गहराई पर पक्की सड़क मिली थी। दो वर्ष पूर्व तालाब की खोदाई के दौरान सतह से 15 फीट नीचे 20-20 फीट लंबे साखू के बोटे पाए गए थे। तालाब में ही काफी गहराई में ईंट की दीवार मिली थी।

लोगों का कहना है कि टीले पर स्थित प्राचीन मंदिर से सटी एक सुरंग भी है। यह सुरंग कोर्ट खास टीले की पांच किमी लंबी यात्रा के लिए बनाई गई थी। टीले पर अमूल्य जड़ी-बूटियों का जखीरा भी है। विधायक चंद्र प्रकाश शुक्ला की पहल पर पुरातत्व विभाग की टीम यहां सक्रिय हुई है तो स्थानीय लोगों में भी इसके रहस्य से पर्दा उठने की उम्मीद हो गई है। गोरखपुर के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह की अगुवाई में टीले का परीक्षण करने आई टीम के अनुसार ईंट व बर्तन के टुकड़े छठी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 1250 ईस्वी तक के हैं। 2600 वर्ष पूर्व यहां नगर रहा होगा।

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