यहां कभी था असुर जनजाति का डेरा, अब है वीआइपी मोहल्‍ला

गोरखपुर का सबसे वीआइपी मोहल्‍ला कभी असुर जनजाति के लोगों का डेरा था। विकास की गति के साथ यह मोहल्‍ला अब घनी आबादी में तब्‍दील हो चुका है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 10:41 AM (IST) Updated:Thu, 22 Nov 2018 10:27 AM (IST)
यहां कभी था असुर जनजाति का डेरा, अब है वीआइपी मोहल्‍ला
यहां कभी था असुर जनजाति का डेरा, अब है वीआइपी मोहल्‍ला

गोरखपुर, जेएनएन : सुनकर थोड़ा अजीब लगता है कि जिस मोहल्ले या चौराहे पर इंसानों की रिहाइश हो, उसे असुरन नाम से जाना जाय। लेकिन ऐसा है क्योंकि इतिहास से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। यहां यह स्प्ष्ट  करना जरूरी है कि इस नाम का मतलब असुर या राक्षस नहीं, बल्कि असुर नाम की एक जनजाति है, जो 12-13 वीं शताब्दी के इर्द-गिर्द यहां निवास किया करती थी।

साहित्यकार रवींद्र श्रीवास्तव जुगानी के मुताबिक उन दिनों असुरन क्षेत्र पूरी तरह जंगल था और इन जंगलों में असुर जनजाति के लोगों की एक शाखा रहती थी। धीरे-धीरे जब पेड़ कटने लगे और जंगल रिहाइशी इलाकों में तब्दील होने लगे तो असुर जनजाति के लोगों का यहां से पलायन हो गया। जुगानी बताते हैं कि कुशीनगर के बौद्ध भिक्षु बुद्ध मित्र भिक्खू ने इसे लेकर काफी काम किया था और इस तथ्य को खोज निकाला था।

1613 में उस्मान कवि ने भी अपनी कविताओं में गोरखपुर में बसी जनजातियों में असुर जनजाति का और उनके रहन-सहन का उल्लेख किया है। असुर जनजाति तो यहां से चली गई, लेकिन इलाके को अपना नाम दे गई। स्थिति यह हुई बाद में जब इलाके में एक चौराहा विकसित हुआ तो उसे भी असुरन नाम की ही पहचान मिल गई, जो आज असुरन चौराहे के नाम से मशहूर है।

इलाके के जमींदार परिवार के राय वीरेंद्र प्रसाद बताते हैं कि 1890 में जब गोरखपुर में प्लेग फैला तो उनके दादा राय बहादुर अभय नंदन प्रसाद ने अलीनगर से असुरन क्षेत्र में आकर अपना आशियाना बनाया। उन दिनों पूरा असुरन क्षेत्र जंगल था और लोगों के मुंह से यह सुनने को मिलता था कि कभी इस जंगल में असुर रहा करते थे। यह असुर कौन थे और कहां से आए थे, यह स्पष्ट रूप से न तो कोई तब बता पाता था और ना अब। उन दिनों भी कुछ लोगों ने उन्हीं असुरों के नाम पर इलाके को असुरन कहना शुरू कर दिया था। बाद में असुरन को मोहल्ले के नाम की स्थायी मान्यता मिल गई। हालांकि अब तो असुरन चौराहे को जयप्रकाश चौराहा भी कहा जाने लगा है।

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