मंदिर की प्राचीन गोशाला में किया गायों का नस्ल सुधार

दीपा शर्मा गाजियाबाद श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर में बनी प्राचीन गोशाला में आज भी गायों की सेवा होत

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 08:22 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 08:22 PM (IST)
मंदिर की प्राचीन गोशाला में किया गायों का नस्ल सुधार
मंदिर की प्राचीन गोशाला में किया गायों का नस्ल सुधार

दीपा शर्मा, गाजियाबाद

श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर में बनी प्राचीन गोशाला में आज भी गायों की सेवा होती है। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना के साथ ही सन 1511 में ही इसकी स्थापना हुई थी। अब पुरानी बनी हुई गोशाला नहीं है। करीब सात साल पहले ही मंदिर में गोशाला का पुनर्निर्माण कराया जा चुका है। मंदिर के कार्यकर्ता एसआर सुथार ने बताया कि पहले यहां केवल देसी गायें ही होती थी, जो दूध भी नहीं देती और इनमें बांझ भी होती थी, लेकिन अब गायों की आधुनिक तकनीक से पैदा हुई बछिया हैं वह दुधारू नस्ल की हैं। इससे गायों का नस्ल सुधार किया जा रहा है। इससे गायों की उपयोगिता बढ़ी है। गोशाला में अब देसी के अलावा साहिवाल और जर्सी नस्ल की दुधारू गायें हैं। मंदिर समिति की ओर से ही गोशाला का संचालन किया जाता है। कुछ भक्त गायों के लिए चारा आदि देकर भी जाते हैं।

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बिना गद्दे के बिना और गीले में नहीं बैठती गायें

एसआर सुथार ने बताया कि मंदिर की गायों की ऐसी आदत बन गई है कि वह बिना गद्दे के या थोड़ी सा भी गंदा और गीला वह नहीं बैठती। इसलिए उनके नीचे सफाई पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। गायों को हर रोज नहाने की आदत है। गर्मी में गायों के लिए कूलर लगाए जाते हैं। गायों की सेवा के लिए यहां चार कर्मचारी रखे गए हैं। इसके अलावा मंदिर में जाने वाले भक्त भी गायों की सेवा नहलाना आदि कर देते हैं। इसके अलावा मंदिर की गायें महंत नारायण गिरि और मंदिर के अन्य कर्मचारियों को पहचानती भी हैं। कोई भी गाय किसी को मारती नहीं है।

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मंदिर और गुरुकुल में गायों के दूध का उपयोग

मंदिर में बने गुरुकुल के छात्र गोशाला की गायों का ही दूध पीते हैं और चाय बनाते हैं। साथ ही मंदिर के पुजारी, कर्मचारी और अतिथियों के लिए भी गाय के दूध की ही चाय बनाई जाती है। इसके अलावा भगवान दूधेश्वरनाथ का अभिषेक गाय के दूध से ही किया जाता है। एसआर सुथार ने बताया कि बाहर का भी कोई छोटा बच्चा है और उसे गाय का दूध पीने के लिए दे देते हैं।

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