हज के दौरान सूबे के 37 यात्रियों की मौत

प्रदेश से हज सफर पर गए करीब 32 हजार से हज में से 37 हज यात्रियों को छोड़कर बाकी सभी अपने घरों को सकुशल वापस लौट आए हैं। हज यात्रा पर गए इन 37 की हज के दौरान बीमारी व अन्य वजहों से मक्का मदीना मीना और अराफात में मौत हो गई। इनमें गाजियाबाद की एक महिला हज यात्री भी शामिल है। हज यात्रा के दौरान सर्वाधिक 29 हज यात्रियों की मौत मक्का शहर में हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Sep 2019 09:25 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 09:25 PM (IST)
हज के दौरान सूबे के 37 यात्रियों की मौत
हज के दौरान सूबे के 37 यात्रियों की मौत

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : प्रदेश से हज सफर पर गए करीब 32 हजार में से 37 हज यात्रियों को छोड़कर बाकी सभी अपने घरों को सकुशल लौट आए हैं। हज यात्रा पर गए इन 37 यात्रियों की बीमारी व अन्य वजहों से मक्का, मदीना, मीना और अराफात में मौत हो गई। इनमें गाजियाबाद की 51 वर्षीय महिला हज यात्री नईमा, पत्नी मोहम्मद इलियास सैफी भी शामिल हैं। इसके अलावा 23 जनपदों के 36 अन्य हज यात्री भी शामिल हैं, जिनमें सर्वाधिक 4 हज यात्री मुरादाबाद एवं तीन गोंडा जनपद से हैं। सर्वाधिक 29 हज यात्रियों की मक्का, 4 मीना, 3 मदीना व 1 अराफात में मौत हुई है। सभी का शव परिजनों की इजाजत के बाद वहीं दफना दिया गया।

61 से 70 उम्र के सर्वाधिक 22 हज यात्रियों का इंतकाल

हज सफर पर जाने वाले कुछ यात्रियों की बीमारी व अन्य वजहों से हज के दौरान मौत होती है। मरने वालों में सर्वाधिक 22 हज यात्री 61 से 70 वर्ष की उम्र के हैं, जबकि 51 से 60 वर्ष की उम्र के 11, 71 से 80 वर्ष तक के 3 व 81 से 90 वर्ष की एक महिला हज यात्री शामिल हैं। महिला व पुरुष हज यात्रियों की बात करें तो 16 महिला व 21 पुरुष हज यात्री हैं।

मुरादाबाद जिले के सर्वाधिक चार

हज यात्रा पर हज के दौरान मरने वाले लोगों में सबसे ज्यादा चार लोग मुरादाबाद जनपद के हैं। इसके अलावा वाराणसी, बिजनौर, रामपुर, अंबेड़कर नगर, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, बरेली के दो-दो व गोंडा के तीन हज यात्री एवं गाजियाबाद, बिजनौर, सहारनपुर, संत कबीरनगर, मेरठ, गोरखपुर, हरदोई, मऊ, बहराइच, कानपुर नगर, लखीमपुर खीरी, कन्नौज, संभल, आजमगढ़ जनपद के एक-एक हज यात्री शामिल हैं।

हज के सफर पर गए यात्रियों की बीमारी व अन्य वजहों से मौत हुई है। मक्का, मदीना, मीना और अराफात में इंतकाल फरमा गए सभी को वहीं दफनाया गया है। हर किसी मुसलमान की यही ख्वाहिश होती है कि उसे मरने के बाद वहां की मिट्टी नसीब हो। इसे खुशनसीबी भी समझी जाती है। हज कमेटी की ओर से किसी हाजी को किसी तरह की कोई शिकायत नहीं रही। हज पूरा कर सभी अपने घरों को लौट चुके हैं।

- डॉ. इफ्तखार जावेद, सदस्य, हज कमेटी ऑफ इंडिया

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