कौन सी समिति, काहे का सदस्य, मुझे तो पता ही नहीं

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में भोजन व अन्य गुणवत्ता की जांच के लिए

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 10:34 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 10:34 PM (IST)
कौन सी समिति, काहे का सदस्य, मुझे तो पता ही नहीं
कौन सी समिति, काहे का सदस्य, मुझे तो पता ही नहीं

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में भोजन व अन्य गुणवत्ता की जांच के लिए गठित की गई समिति के सदस्यों को खुद के समिति में होने की जानकारी ही नहीं है। इन्हें चुन तो लिया गया लेकिन खेल करने की नीयत से जानकारी देने वाले पीछे हट गए। वर्तमान में बिना जांच के ही भोजन बांटा जा रहा है। सामग्री आ रही है और धड़ल्ले से बिल का भुगतान भी हो रहा है।

जिले में पांच कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित हैं। इन पर हर वर्ष तकरीबन चार करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। इसमें लगातार हो रहे खेल की शिकायत पर शासन ने हर ब्लॉक में एक पांच सदस्यीय समिति का गठन करने का निर्देश दिया। इसमें तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी वार्डन व विद्यालय प्रबंध समिति की महिला अभिभावक चुने जाने थे। समिति का काम भोजन की गुणवत्ता, आने वाले राशन की जांच और बिल का सत्यापन करना था। कायमगंज ब्लॉक में समिति का गठन हुआ लेकिन तहसीलदार समेत अन्य प्रमुख सदस्यों को जानकारी नहीं दी गई। नतीजतन एक भी दिन समिति ने काम ही नहीं किया। हालांकि हर महीने की 25 से 30 तारीख को राशन उपलब्ध होता है और समिति के सत्यापन के बिना ही बिल का भुगतान कर दिया जाता है। अन्य स्कूलों की भी यही हालत है।

तौल की मशीनें भी खराब

स्कूलों में आने वाले राशन की तौल के लिए कं¨टजेंसी मद से इलेक्ट्रानिक तौल मशीन खरीदने के भी निर्देश थे, लेकिन किसी भी विद्यालय में समिति सामान की जांच नहीं कराती। कायमगंज में तौल मशीन कंडम पड़ी है। अन्य कुछ स्कूलों में मशीन है ही नहीं।

निरीक्षण भी नहीं होते

समिति को छात्राओं के दैनिक उपभोग सामग्री के परीक्षण के लिए प्रतिमाह दो से तीन औचक निरीक्षण भी करने थे, लेकिन जब समिति के सदस्यों को ही जानकारी नहीं होगी तो निरीक्षण कौन करेगा।

अनुपस्थित छात्राओं का खाद्यान्न गायब

स्कूलों के निरीक्षण में कई बार अधिकारियों को 20 से 50 फीसद छात्राएं अनुपस्थित मिलीं। त्योहारी छुट्टियों के कई दिन बाद छात्राएं वापस आती हैं, लेकिन खाद्यान्न का पूरा उपभोग दिखा दिया जाता है। दूध-सब्जी के बिलों में केवल दुकानदार का नाम लिखा होता, ताकि बिलों की पुष्टि न कराई जा सके, इसके लिए उसके पिता का नाम व पता नहीं लिखा जाता।

जांच व सत्यापन के लिए समिति के सदस्यों को दोबारा पत्र लिखा जाएगा।

- सरिता त्रिवेदी, जिला समन्वयक मैं किस समिति का सदस्य हूं। मुझे जानकारी ही नहीं है। जांच तो तब की जाए जब मुझे पता हो कि किसी समिति का गठन भी किया गया है और मैं उसका सदस्य हूं।

- गजेंद्र सिंह, तहसीलदार कायमगंज

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