दंपती ने मिलकर लिखी सफलता की इबारत

जागरण संवाददाता, एटा : कहते हैं कि किसानी घाटे का सौदा है, लेकिन यहां तो पति-पत्नी दोनो

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Dec 2017 08:00 PM (IST) Updated:Fri, 22 Dec 2017 08:00 PM (IST)
दंपती ने मिलकर लिखी सफलता की इबारत
दंपती ने मिलकर लिखी सफलता की इबारत

जागरण संवाददाता, एटा : कहते हैं कि किसानी घाटे का सौदा है, लेकिन यहां तो पति-पत्नी दोनों ने मिलकर कृषि के क्षेत्र में सफलता की नई इबारत लिखकर अन्य लोगों को भी इस ओर आकर्षित किया है। पढ़े-लिखे दोनों ही पति-पत्नी कृषि विविधीकरण से बेहतर कृषि उत्पादन कर समृद्धि की ओर बढ़कर ग्रामीण युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं। कंपोस्ट खाद से शुरू हुआ किसानी का सफर अब जिले में पहली बार मशरूम और अजोला के उत्पादन तक पहुंच चुका है।

जैथरा क्षेत्र के गांव मानपुरा निवासी विनोद चौहान अर्थशास्त्र से परास्नातक हैं। उनकी पत्नी नीतू ¨सह भी स्नातक हैं। वर्ष 2008-09 रोजगार के लिए नौकरी नहीं कर कृषि के पेशे को अपना लिया। सबसे पहले दूसरे क्षेत्रों से वर्मी कंपोस्ट की इकाई स्थापित कर अन्य युवाओं को भी उससे रोजगार पाने की नसीहत दी। सिर्फ एक बीघा भूमि से 4 से 5 लाख रुपये साल कमाने का अच्छा तरीका बताया। पत्नी ने भी इस काम में काफी सहयोग किया। लगातार वर्मी कंपोस्ट उत्पादन और उसके बाद इसी भूमि में हजारों रुपये महीने की सब्जियां भी उगाने लगे। विनोद बाहरी क्षेत्रों में जाकर वहां की खेतीबाड़ी की बारीकियां खोजने में लगे रहते, तो उनकी पत्नी किताबों से विभिन्न कृषि उत्पादों की वैज्ञानिक तकनीकियों की जानकारी संजोती। दोनों का सामंजस्य न सिर्फ सफलताओं की ओर बढ़ता गया, बल्कि इन्हीं कार्यों से अच्छी आमदनी भी होने लगी। युवा होने के नाते दूसरे नौकरी की तलाश में रहने वाले युवाओं को भी वह गांव लाकर अपनी इकाई दिखाते हुए अब तक कार्य करने के लिए प्रेरित करते चले आ रहे हैं।

वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश से अजोला प्रजाति की वनस्पति का उत्पादन करने की तकनीकि लाए और जिले में एक नया काम कर दिखाया। अजोला वनस्पति खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में कारगर सिद्ध हुआ। तो किसान उर्वरकों के बजाए उसका प्रयोग करने के प्रति आकर्षित हुए। यह अजोला भी किसान दंपती की आय बढ़ाने में सहायक बन गया। सफलता की इबारत का सफर यही खत्म नहीं हुआ। पिछले साल दिल्ली के होटल में जब मशरूम की सब्जी पर ध्यान गया तो उसे भी अपने गांव में पैदा करने की ठान ली। पति की दौड़ धूप और पत्नी की मेहनत से इस साल मशरूम उत्पादन की यूनिट भी शुरू कर दी। नवंबर महीने से ही मशरूम ने उनकी आय में चार-चांद लगा दिए। किसान दंपती का कहना है कि युवाओं को सोच बदलनी चाहिए। नौकरी नहीं तो खेती से भी अच्छी आय पाई जा सकती है। विनोद को जनपद व मंडल स्तर पर कई कृषि पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

अब तक सैकड़ों को किया प्रशिक्षित

------------------------किसान दंपती मेहनत से प्राप्त कीं कृषि तकनीकियों को छुपाने के बजाए प्रचार-प्रसार में भी लगे हुए हैं। अपने कृषि उत्पादन से अन्य युवाओं और किसानों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं। कृषि विभाग के कई अधिकारी उनकी किसानी के कायल हैं। वहीं जिले से दूर क्षेत्रों के भी किसान उनके गांव तकनीकियां सीखने आते-जाते रहते हैं।

नीतू का मशरूम प्रदेश सरकार को भाया

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पिछड़े जिले में मशरूम की खेती को देखकर प्रदेश सरकार को भी खुशी हुई है। यही वजह है कि किसान दिवस पर नीतू ¨सह को प्रदेश सरकार शनिवार को लखनऊ के कृषि भवन में पुरस्कृत करेगी। इस पुरस्कार के साथ नीतू जिले में पहली ऐसी महिला कृषक होंगी जिन्हें प्रदेश स्तरीय पुरस्कार से नवाजा जा रहा है।

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