खाद्य सुरक्षा का प्रशिक्षण लें तभी मिलेगा लाइसेंस

एफएसडीए (खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन) की ओर से नई व्यवस्था लागू की जा रही है, जिसके तहत खाद्य सुरक्षा का प्रशिक्षण लेने के बाद ही लाइसेंस दिया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Sep 2018 12:08 AM (IST) Updated:Thu, 27 Sep 2018 12:08 AM (IST)
खाद्य सुरक्षा का प्रशिक्षण लें तभी मिलेगा लाइसेंस
खाद्य सुरक्षा का प्रशिक्षण लें तभी मिलेगा लाइसेंस

जागरण संवाददाता, एटा: एफएसडीए (खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन) की ओर से नई व्यवस्था लागू की जा रही है। जनस्वास्थ्य के मद्देनजर खाद्य पदार्थों के विक्रेताओं व निर्माताओं को पहले उस ट्रेड में प्रशिक्षण लेना होगा। जिसके बाद उनका लाइसेंस जारी किया जाएगा।

एफएसएसएआइ (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के निर्देश पर यह प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया है। प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए निजी एजेंसियों से अनुबंध किया गया है। जो खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के तहत साफ-सफाई, खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, पोषक तत्व, रख-रखाव, हैंड¨लग, निर्माण के दौरान सुरक्षा के तरीके आदि पर प्रशिक्षण देंगी। जिससे गुणवत्तायुक्त और मानक स्तर के खाद्य पदार्थ तैयार हों और उनके रख-रखाव व बिक्री भी स्तरीय हो। प्रशिक्षण के बाद संबंधित व्यापारियों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा। लाइसेंस आवेदन के समय इस प्रमाण पत्र को प्रस्तुत करना जरूरी होगा। सभी छोटे-बड़े व्यवसायी इसकी जद में होंगे। पुराने खाद्य व्यापारियों पर भी यह नियम लागू किया जाएगा। जिनमें 425 लाइसेंस और 4500 पंजीकरण वाले व्यापारी हैं।

अभी यह व्यवस्था

वर्तमान में खाद्य कारोबार के लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। विभाग की ओर से कार्यस्थल का निरीक्षण कर लाइसेंस को स्वीकृति दे दी जाती है। इसमें यह बात मायने नहीं रखती कि आवेदक उस खाद्य कारोबार के बारे में कोई जानकारी रखता है या नहीं।

नहीं दे पाएंगे अज्ञानता का तर्क

आमतौर पर मिलावट के मामलों में व्यापारियों का तर्क होता है कि उन्हें नियमों की जानकारी ही नहीं थी। अज्ञानता के कारण ऐसा हुआ है, गलत करने की मंशा नहीं थी। प्रशिक्षण में जब पूरी जानकारी दे दी जाएगी, तो गड़बड़ी पकड़े जाने पर व्यापारी यह तर्क नहीं दे सकेंगे।

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कई बार अनजाने में गलतियां होती हैं। जिसे मिलावट और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक की श्रेणी में रखा जाता है। प्रशिक्षण का उद्देश्य यही है कि लोगों को जानकारी हो और गलतियां पर नियंत्रण लग सके।

- एके गुप्ता, अपर आयुक्त एफएसडीए, अलीगढ़

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