आपातकाल की याद आते ही कांप उठती है रूह

देवरिया : 25 जून 1975 की आधी रात याद आते ही लोगों की रुह कांप उठती है। यह वही रात है, जिस दिन देश मे

By Edited By: Publish:Wed, 24 Jun 2015 10:04 PM (IST) Updated:Wed, 24 Jun 2015 10:04 PM (IST)
आपातकाल की याद आते ही कांप उठती है रूह

देवरिया : 25 जून 1975 की आधी रात याद आते ही लोगों की रुह कांप उठती है। यह वही रात है, जिस दिन देश में आपातकाल लागू हुआ था। सरकार का विरोध करने वालों को पुलिस वाले गिरफ्तार कर जेल में ठूस रहे थे। इसको लेकर पूरे देश में आंदोलन उग्र हो गया। गुजरात और बिहार में कांग्रेस की सरकार थी। जहां भ्रष्टाचार का चरम पर था। छात्रों की अगुआई में पूरे देश में उग्र आंदोलन हुआ।

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25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल लागू हुआ था। उस समय मैं लखनऊ में था। मैं कृष्णा राय के साथ पुलिस को चकमा देकर देवरिया चला आया। चकिया ढाले के पास प्रभु कुंज में 26 जून 1975 को आंदोलन की रुपरेखा तैयार की गई। उसी रात एक बजे पुलिस ने छापेमारी कर कृष्णा राय, चंद्रिका ¨सह और मुझे गिरफ्तार कर लिया। दूसरे दिन चालान कर जेल भेज दिया। वहां एक दिन पहले ही रामाज्ञा ¨सह चौहान व उग्रसेन ¨सह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। हम लोगों ने अहिल्यापुर से देवरिया के बीच रेलवे लाइन उखाड़ने व टेलीफोन का तार काटने का आरोप था। कचहरी पहुंचे तो सरकार विरोधी भाषण देने का एक और मुकदमा दर्ज कर लिया गया। एक मुकदमे में छह माह की सजा तथा दूसरे में बाइज्जत बरी हो गए। उसी समय कृष्णा राय पर मीसा लग गया। उन्हें देवरिया से सेंट्रल जेल बरेली भेज दिया गया। कृष्णा राय के बड़े भाई की तबियत खराब होने पर जिलाधिकारी से कृष्णा राय से मिलने की इच्छा जाहिर की। डीएम ने इसकी जांच कराई तो मामला सही पाया गया। उन्हें पैरोल पर छोड़ दिया गया। देवरिया जेल में कुल 17 माह तक रहा।

रमजान अली लोकतंत्र रक्षक सेनानी-

------------------------देश में आपातकाल लगा तो गुजरात के मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल थे। उस समय गुजरात में भ्रष्टाचार चरम पर था। छात्रों को हास्टल में गलत खाना दिया जा रहा था। छात्रों ने अपने लीडर मनीष जानी के नेतृत्व में पूरे गुजरात में आंदोलन शुरू कर दिया। उसी समय बिहार के मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर थे। वहां भी इस तरह का भ्रष्टाचार व्याप्त था। छात्रों ने यहां पर जोरदार आंदोलन किया। रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र का कार्यक्रम समस्तीपुर में चल रहा था। उसी समय उनकी बम से मारकर हत्या कर दी गई। 1974 में पूरे देश में रेलवे का बड़ा आंदोलन चला था। कांग्रेस की सरकार ने सख्ती दिखाते हुए आंदोलन को दबा दिया। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के मामले में फैसला सुना दिया। हाइकोर्ट के जज जगमोहन सिन्हा ने इंदिरा गांधी को छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया। इंदिरा गांधी के सामने संकट खड़ा हो गया। कोलकत्ता के सिद्धार्थ शंकर रे ने आंतरित इमरजेंसी लगाने की सलाह इंदिरा गांधी को दे दी। इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लागू कर दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने की लाइन में हेगड़े, ग्रोवर और शैलेट थे। इंदिरा गांधी ने इन तीनों को दरकिनार कर अजीत नाथ रे को मुख्य न्यायाधीश बना दिया। रे ने इलाहाबाद कोर्ट के फैसले के खिलाफ स्थगन आदेश दे दिया। उसी समय जेपी की अगुआई में पूरा विपक्ष इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग करने लगा। पूरे देश में आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया। 24 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान सभा हुई, जिसमे रामधारी ¨सह दिनकर की कविता पढ़ी गई। प्रेस की आजादी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इंद्र कुमार गुजराल सूचना मंत्री थे। उन्होंने प्रेस की आजादी पर प्रतिबंध लगाने से मनाही की तो उन्हें हटाकर विद्याचरण शुक्ल को सूचना मंत्री बना दिया। इसके बाद प्रेस की आजादी पर रोक लगा दी गई। कोई भी समाचार प्रकाशित करने के पहले सूचना मंत्रालय के स्के¨नग के बाद ही छपता था। पूरे देश में हजारों की संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया गया।

जयप्रकाश वर्मा एडवोकेट

लोकतंत्र रक्षक सेनानी

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