नगर में जाम पर जिम्मेदार मौन, लोग परेशान
कहने को यह मिनी महानगर है। तमाम सुविधाएं यहां होने के बाद भी कोई न कोई परेशानी यहां आने वाले लोगों को घेरे रहती हैं। कारण जिम्मेदार मौन रहते हैं जिनके जिम्मे व्यवस्था देखरेख की जिम्मेदारी होती है वे कर्तव्यों से भागते हैं। जाम को ही लें तो यह समस्या लाइलाज बीमारी बन गई है। स्थानीय पुलिस और यातायात महकमा समस्या निदान में असफल साबित हो रहा।
जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : कहने को यह मिनी महानगर है। तमाम सुविधाएं यहां होने के बाद भी कोई न कोई परेशानी यहां आने वाले लोगों को घेरे रहती हैं। कारण जिम्मेदार मौन रहते हैं, जिनके जिम्मे व्यवस्था देखरेख की जिम्मेदारी होती है वे कर्तव्यों से भागते हैं। जाम को ही लें तो यह समस्या लाइलाज बीमारी बन गई है। स्थानीय पुलिस और यातायात महकमा समस्या निदान में असफल साबित हो रहा। सुबह 10 बजे और शाम को सात से आठ बजे के बीच सड़कें पैदल चलने लायक नहीं रहतीं। मिनटों की दूरी घंटों में पूरी होती है। कभी-कभी तो गलियां भी वाहनों से ठसाठस हो जाती हैं। इससे आम जन भी व्यवस्था को कोसता है।
नगर में पटरियों पर अतिक्रमण यातायात व्यवस्था को हर समय मुंह चिढ़ाता है। बाजार में दुकानों के बाहर दूर तक फैले सामान, अव्यवस्थित वाहनों के खड़े होने से जीटी रोड जैसा रोड गली बन गया है। पुलिस और यातायात विभाग जाम का स्थाई समाधान निकाल पाने में विफल साबित हो रहे हैं। खासकर आटो चालकों की इतना मन बढ़ा है कि जब जहां चाहे रोककर सवारियां बैठाने लगते हैं। पुलिस कर्मी रहकर भी कुछ नहीं करते। स्थित है कि जीटीआर ब्रिज से लेकर सब्जी मंडी तक ऐसा जाम लगता है मानो कोई मेला लगा है। इस जाम में एंबुलेंस फंसे या किसी का परिवार बीमार हो जिम्मेदार भी सहायता को आगे नहीं आते।