बिजली के नाम पर सिर्फ आश्वासन

By Edited By: Publish:Sun, 20 Apr 2014 11:30 PM (IST) Updated:Sun, 20 Apr 2014 11:30 PM (IST)
बिजली के नाम पर सिर्फ आश्वासन

नियामताबाद(चंदौली) : चकिया-मुगलसराय मार्ग से दो सौ मीटर दूर खुटहना गांव के लोग आज भी लालटेन युग में जीवन जीते हैं। जबकि गांव के चारों ओर मात्र सौ-सौ मीटर दूरी पर मौजूद कासिमपुर, पचोखर, चंदाइत आदि गांव वर्षो पूर्व बिजली के प्रकाश से जगमगा रहे हैं। गांव के लोग इसे विडंबना ही कहते हैं कि आज भी उन्हें बिजली के लिए तरसना पड़ रहा है। उनका कहना है जो भी गांव में बिजली लाने की बात करेगा वे उसे ही मतदान करेंगे।

गांव में मुसलमान, बिंद, राजपूत व ब्राह्मणों की सम्मिलित लगभग 8 सौ की आबादी निवास करती है। ग्रामीणों का दर्द है कि प्रत्येक चुनाव में नेताओं द्वारा आश्वासन तो बहुत दिया जाता है लेकिन चुनाव बाद इसे नजर अंदाज कर दिया जाता रहा है। इसी का प्रतिफल है कि चारों ओर बिजली के प्रकाश से चकाचौंध रहने के बाद भी खुटहना गांववासी आज भी अंधेरे में जीवन यापन करने के लिए विवश हैं।

ग्रामीण भगानू राम ने बताया कि नेताओं के झूठे आश्वासन दिए जाने से ग्रामीण तो अब बिजली की उम्मीद ही छोड़ बैठे हैं। गुड्डू पांडेय ने कहा कि प्रत्येक चुनाव में सभी पार्टियों द्वारा गांव में बिजली पहुंचाने की बात तो जोर शोर से की जाती है लेकिन चुनाव बाद वह फुस्स साबित हो जाती है। श्याम प्रसाद बिंद ने बताया कि अब तो हम लोग बिजली न आने को नियति समझ चुप बैठ गए हैं। छांगुर बिंद ने बिजली न आने का दर्द बयां करते हुए कहा कि हम लोगों की आस्था तो अब डोल चुकी है, लेकिन अभी भी यह उम्मीद कायम है कि शायद मरने से पहले बिजली का दर्शन गांव में हो जाएगा। गणेश व शिवधनी ने बताया कि गांव में आने वाले नाते रिश्तेदार भी अब इस मामले में कटाक्ष करने लगे हैं।

कुल मिलाकर देखा जाए तो चकिया-मुगलसराय मार्ग से कुछ दूर मौजूद गांव के थोड़ी दूर ही पांडेयपुर कसबा भी मौजूद है। वही आस पास के गांवों में वर्षो पूर्व बिजली पहुंच गई है और तो और नाचिरागी मौजा कहे जाने वाले कासिमपुर में भी लगभग सात-आठ वर्ष पूर्व राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत बिजली का संजाल फैलाया गया। वही 50 वर्षो से मौजूद उक्त गांव को आखिर क्यों आज तक विद्युत प्रकाश से वंचित रखा गया यह क्षेत्र में चर्चा का विषय है।

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