सुरेंद्र पाल सिंह ने जनपद को दिलाई थी 'अनूठी' पहचान

By Edited By: Publish:Fri, 11 May 2012 10:37 PM (IST) Updated:Fri, 11 May 2012 10:38 PM (IST)
सुरेंद्र पाल सिंह ने जनपद को दिलाई थी 'अनूठी' पहचान

बुलंदशहर : राजशाही और सामंतवादी व्यवस्था के बाद जब देश ने लोकतंत्र को अंगीकार किया तो कानूनन 'राजा' और 'रंक' में भेद मिट गया। इस संक्रमणकाल में कई रियासतदारों ने शाही ठाठबाठ जीवन शैली को पूर्ववत बनाए रखा। तो कई ऐसे भी हुए जो नये-नवेले प्रजातंत्र को 'आत्मा' से स्वीकार कर 'लोकसेवा' में जीवन होम कर दिया। ऊंचागांव रियासत के राजा और सांसद कुंवर सुरेंद्र पाल सिंह उन्हीं में से एक थे। उनके योगदान को देश और जनपद कभी भूल नहीं सकता है।

लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद के साठ साल पूरे होने पर जश्न मनाया जा रहा है। जनपद से नजरिए से संसदीय इतिहास के पन्ने उलटें तो एक विराट व्यक्तित्व कुंवर सुरेंद्र पाल सिंह पर नजर ठहर-सी जाती है। वह इंदिरा गांधी के कार्यकाल में करीब साढ़े आठ वर्षो तक केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री रहे। नेहरू युग की 'गुटनिरपेक्ष ' और 'तटस्थ' नीति का 'हासिल' जो भी रहा हो लेकिन 1962 में 'भारत-चीन' युद्ध की पीड़ा से तड़प रहे देश को जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 'तेवरदार' विदेश नीति के सांचे में ढ़ाल रहीं थीं तो उन्होंने बुलंदशहर के कुंवर सुरेंद्र पर भरोसा जताया था। वह ऊंचागांव रियासत के राजा थे, राजसी डिप्लोमैसी की समझ थी उन्हें। इससे बढ़कर, जब इंदिरा गांधी तीस के दशक में आक्सफोर्ड में पढ़ रही थीं तो करीब-करीब उन्हीं के हमउम्र कुंवर साहब इंग्लैंड के ही कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र थे। उसी समय से दोनों एक-दूसरे को जानते थे। इंदिरा गांधी को कुंवर साहब के प्रतिभा पर भरोसा था। उन्हें केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री बनाया था।

वयोवृद्ध कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री सैयदुल हसन कहते हैं कि कुंवर साहब अंग्रेजी बोलने में काफी दक्ष थे। विदेश नीति और कूटनीति की बारीक समझ थी। उनकी संप्रेषण कौशल इतनी लाजवाब थी कि सामने वाला प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था।

जनपद में पहली बार नेहरूजी कुंवर सुरेंद्र के ही न्यौते पर 18 जून 1956 में आए थे। कुंवर साहब ने उन्हें ऊंचागांव को ब्लाक बनाने का आग्रह किया। इसके निर्माण के लिए अपनी 18 बीघे जमीन और एक लाख रुपये का चेक दिया था। नेहरूजी ने बकायदा भूमि पूजन कर ऊंचागांव विकास खंड की नींव रखी थी।

दिल्ली की सियासत में उनकी दखल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश की अत्याधुनिक परमाणु बिजली केंद्र को नरौरा में स्थापित कराने में सफल रहे। नरौरा परमाणु केंद्र के अलावा उन्होंने अनूपशहर में को-ऑपरेटिव चीनी मिल का निर्माण कराया। जब रेल राज्यमंत्री बने तो इलाहाबाद जाने के लिए संगम एक्सप्रेस चलवाई। अपना पुश्तैनी बहादुरपुर किला महिला अस्पताल के लिए दान में दे दी। कई स्कूल-कालेज खुलवाए। ऐसे कई नजीर हैं।

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