दरक रही चट्टानों से देव स्थलों के अस्तित्व को खतरा

बिजनौर जेएनएन। क्षेत्र में स्थित प्राचीन देव स्थलों का अस्तित्व खतरे में है। जिन चट्टानों पर प्राचीन मं

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 07:51 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 07:51 PM (IST)
दरक रही चट्टानों से देव स्थलों के अस्तित्व को खतरा
दरक रही चट्टानों से देव स्थलों के अस्तित्व को खतरा

बिजनौर, जेएनएन। क्षेत्र में स्थित प्राचीन देव स्थलों का अस्तित्व खतरे में है। जिन चट्टानों पर प्राचीन मंदिर स्थित है, वह देखरेख के अभाव और अवैध कटान से दरक रही हैं। इससे देव स्थलों का अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। प्राचीन देव स्थलों में शिव पुराण के समय का शिव मंदिर व प्राचीन काली का मंदिर शामिल हैं।

नांगलसोती बस्ती व गंगा के बीच काली का प्राचीन मंदिर व शिव पुराण में वर्णित पौराणिक शिव मंदिर स्थित हैं। यह दोनों मंदिर एक चट्टान पर स्थित हैं। बरसात के दिनों में यह चट्टानें क्षतिग्रस्त होती हैं। जिससे देव स्थलों का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है। यह देवस्थल गंगा को जाने वाले रास्ते पर गंगा घाटी पर स्थित है। बरसात के दिनों में चट्टानों में कटान की स्थिति तेजी से उत्पन्न हो जाती है। गंगा का तेज बहाव कटान करता है। पिछले दिनों प्राचीन काली मंदिर पर तेजी से कटान हुआ था। इस कारण मुख्य मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। पुजारी व ग्रामीणों ने रास्ते पर मिट्टी भरकर कट्टे लगाए थे। प्रशासनिक तौर पर इन पौराणिक मंदिरों की सुरक्षा के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया, जबकि नांगलसोती शिव पुराण में अलकापुरी के नाम से वर्णित है। जिसमें शिव मंदिर की चर्चा है। इसके बाद भी उक्त मंदिर की सुरक्षा को आज तक कोई प्रयास नहीं किया। ग्रामीण ओंकार आजाद, नरेंद्र सिन्हा, वीर सिंह, राकेश वाल्मीकि, संजय वाल्मीकि, अवनीश कुमार आदि ने जिला प्रशासन से मंदिरों के दोनों ओर सुरक्षा को दीवार बनाने की मांग की है। वहीं, ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को भी मंदिरों की सुरक्षा के लिए पत्र लिखा है। पत्र में अवगत कराया गया है कि जल्दी ध्यान नहीं दिया गया तो पौराणिक मंदिरों के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो जाएगा।

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