कीचड़ में पांव, ठंड से ठिठुरे बेजुबान

औराई क्षेत्र के सहकारी चीनी मिल परिसर स्थित अस्थाई बेसहारा गोवंश आश्रय स्थल। ठंड के इस दौर में बेजुबानों को रात मिल के गोदाम में कर दिया जा रहा है। लेकिन बारिश के बाद पूरा परिसर कीचड़ से सन उठा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 12:53 AM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 06:05 AM (IST)
कीचड़ में पांव, ठंड से ठिठुरे बेजुबान
कीचड़ में पांव, ठंड से ठिठुरे बेजुबान

केस-1

औराई क्षेत्र के सहकारी चीनी मिल परिसर स्थित अस्थाई बेसहारा गोवंश आश्रय स्थल। ठंड के इस दौर में बेजुबानों को रात मिल के गोदाम में कर दिया जा रहा है, लेकिन बारिश के बाद पूरा परिसर कीचड़ से सन उठा है। चार से छह इंच तक जमे कीचड़ से वहां लोगों के लिए चलना मुश्किल है, जबकि मवेशी उसी में पूरे दिन टहल रहे हैं। ऐसे में मवेशियों को कितना दर्द हो रहा होगा स्वत: ही समझा जा सकता है। गंदगी व कीचड़ से उठ रहे दुर्गध ने आस-पास के लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। केस-2

पूरे रजा, चकवा स्थित बेसहारा पशु आश्रय स्थल, यहां टिन शेड का छाजन लगा है। जिसमें दिन में मवेशियों को खिलाया जाता है। शनिवार को भी दोपहर में उन्हें भूसा-चारा खिलाया जा रहा था। रात में उन्हें पास स्थित कमरों में कर दिया जाता है। दिन में टिन शेड के चारों ओर से खुला है। जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : शासन की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल गोवंश आश्रय स्थलों में लाए गए बेजुबानों के आश्रय स्थल में व्यापक स्तर पर मनमानी देखने को मिल रही है। औराई चीनी मिल परिसर में स्थापित आश्रय स्थल में रात भले ही मवेशियों को मिल गोदाम के अंदर कर दिये जाने का दावा किया जा रहा हो, लेकिन बाहर का नजारा देखकर लग रहा है कि जिम्मेदार व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं हैं। चार से छह इंच कीचड़ जमा हुआ था। इससे मवेशियों के पास तक लोगों का पहुंचना मुश्किल है। हालांकि चकवा में व्यवस्था कुछ ठीक मिली, लेकिन अन्य अस्थाई आश्रय स्थलों में टिन शेड के अलावा ठंड से बचाव के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं दिखाई पड़ रही है। इससे ठंडी हवा खाकर बेजुबान ठिठुर रहे हैं। औराई आश्रय स्थल की देखभाल कर रहे राधेश्याम यादव ने बताया कि करीब 400 मवेशी हैं। जिन्हें रात गोदाम के अंदर कर दिया जाता है। चिकित्सक मवेशियों को देखने आते रहते हैं। नहीं मिल रहा हरा चारा

भले ही बेजुबानों को संतुलित व पौष्टिक आहार के साथ हरा चारा देने के लिए आए दिन निर्देश दिए जा रहे हों, लेकिन उन्हें पुआल व भूसा पर ही आश्रित रखा जा रहा है। किसी भी आश्रय स्थल में मवेशियों के लिए हरे चारे की व्यवस्था नहीं हैं।

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