Wildlife : पीलीभीत टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा में हो रही लापरवाही, बढ़ रहा खतरा
बराही रेंज के बीच से गुजरने वाली खारजा नहर की दोनों ओर की पटरियों पर बाघों को आसानी से शिकार मिल जाता है। इसीलिए अक्सर खारजा नहर वाला क्षेत्र बाघों को खूब रास आता है। क्योंकि वह आसानी से शिकार कर लेते हैंं।
पीलीभीत, जेएनएन। बराही रेंज के बीच से गुजरने वाली खारजा नहर की दोनों ओर की पटरियों पर बाघों को आसानी से शिकार मिल जाता है। इसीलिए अक्सर खारजा नहर वाला क्षेत्र बाघों को खूब रास आता है। वन विभाग की लापरवाही के कारण नहर की पटरियों पर शावकों के गले सडे शव व कंकाल मिल चुके हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व बनने के बाद से बाघों के संरक्षण के तमाम प्रयास किए जाते रहे हैं। इसके बावजूद समय समय पर बाघ, तेदुआ के शव कभी नहरों तो कभी जंगल क्षेत्र मे मिलते रहे हैं। शव मिलने पर विभाग के सभी अधिकारी जवाबदेही से पल्ला झाडने लगते हैं। पिछले दिनों हरदोई ब्रांच नहर में बाघ का शव मिल चुका है। टाइगर रिजर्व की बराही रेंज क्षेत्र में शारदा सागर से निकलने वाली खारजा नहर जब जंगल से बाहर आती है।
तब इसकी पटरियों से बाघ भी शिकार की तलाश में आ जाते हैं। बाघ उन वन्यजीवों का आसानी से शिकार करते हैं जो फसलों से पेट भरने आते हैं। पिछले कई दिन से एक बाघिन शावकों के साथ हल्दीडेगा से लेकर डगा तथा उगनपुर क्षेत्र में देखी जा रही। एक सप्ताह में दो चीतल और एक बेसहारा बछडे का शिकार किया है। शिकार आसानी से मिलने के कारण बाघिन ने शावकों के साथ नहर क्षेत्र में डेरा जमा रखा है। वन विभाग को इसकी जानकारी मिलने पर भी उसे जंगल लौटने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
इन दिनों किसान खेतों में धान की कटाई तथा गेहूं की बुवाई की तैयारी में लगे हैं। ऐसी स्थिति में बाघिन क़ो जंगल में वापस खदेड़ा जाना जरूरी है। अक्सर क्षेत्र के लोग भी बाघों को खतरा मानकर तथा उनसे निजात पाने के लिए उनके शिकार पर जहर डाल देते हैं। वन दारोगा अजमेर सिंह ने बताया कि पर्याप्त साधन नहीं होने के बाद भी जंगल से बाहर निकलने वाले बाघों की लगातार निगरानी करते हैं।