Bareilly: गवाही के दौरान दुष्कर्म के बयान से मुकरी युवती, कोर्ट ने अब उतने ही दिन कैद की सजा सुनाई, जितने दिन निर्दोष जेल में रहा

Bareilly दुष्कर्म मामले में झूठा बयान देने पर महिला को साढ़े चार साल की कैद। राघव को अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया। निशा की मां ने 2 सितंबर 2019 को थाना बारादरी में दर्ज कराई थी। जिसमें आरोप लगाए थे कि 15 साल की लड़की को अजय उर्फ राघव नशे की हालत में दिल्ली ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।

By Anuj Mishra Edited By: Abhishek Saxena Publish:Sun, 05 May 2024 01:15 PM (IST) Updated:Sun, 05 May 2024 01:15 PM (IST)
Bareilly: गवाही के दौरान दुष्कर्म के बयान से मुकरी युवती, कोर्ट ने अब उतने ही दिन कैद की सजा सुनाई, जितने दिन निर्दोष जेल में रहा
Bareilly: दुष्कर्म मामले में झूठा बयान देने पर महिला को साढ़े चार साल की कैद

HighLights

  • कोर्ट की सख्त टिप्पणी- दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में फंसाने के लिए महिला ने झूठ बोला
  • महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग किया, साल 2019 का है मामला

जागरण संवाददाता, बरेली। कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में फंसाने के लिए महिला ने झूठ बोला। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग किया, जिससे आरोपित को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती थी।

यह मामला अत्यंत गंभीर है, इसलिए आरोपित महिला को उतने ही 1653 दिनों की सजा से दंडित किया जाता है, जितने दिन झूठे मामले में आरोपित जेल में रहा। अपर सेशन जज- 14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने शनिवार को आरोपित अजय उर्फ राघव के जेल में बिताए दिनों के एवज में न्यूनतम पारिश्रमिक की दर से 5 लाख 88 हजार 822 रुपए आरोपित महिला के जुर्माने की रकम में से अदा किए जाने के आदेश भी दिए।

2019 का है मामला

मामला वर्ष 2019 के दुष्कर्म के झूठे घटनाक्रम से जुड़ा है। वारदात की रिपोर्ट निशा की मां ने 2 सितंबर 2019 को थाना बारादरी में दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 15 साल की निशा को अजय उर्फ राघव नशे की हालत में दिल्ली ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। मामले में आरोपित वर्ष 2019 से आठ अप्रैल 2024 तक 1653 दिनों तक जेल में बंद रहा।

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अदालत को दिया था ये बयान

13 अक्टूबर 2023 को निशा का बयान तत्कालीन स्पेशल जज फास्ट ट्रैक निर्दोष कुमार की कोर्ट में हुआ तो उसने अभियोजन कथानक का समर्थन किया। चार महीने बाद आठ फरवरी 2024 को पीड़ित ने अपने शेष बयानों में कहा कि उसने पूर्व में जो बयान अदालत में दिए थे वह झूठे थे। आरोपित अजय उर्फ राघव ने उसके साथ कोई घटना कारित नहीं की। ना ही वह उसे दिल्ली ले गया। पूर्व में कोर्ट में दिए अपने बयानों को उसने झूठा बताया। तत्कालीन न्यायाधीश ने पीड़ित को कोर्ट में शपथ पूर्वक झूठे बयान देने के आरोप में जेल भेज दिया था। बाद में उसे जमानत मिल गई।

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अदालत ने बाइज्जत किया बरी

दूसरी तरफ आरोपित अजय उर्फ राघव को अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया। बीते आठ फरवरी को निशा के खिलाफ 340 सीआरपीसी के तहत तत्कालीन कोर्ट के पेशकार के जरिए सीजेएम कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया गया। 12 फरवरी 2024 को मुकदमा सेशन कोर्ट में कमिट हुआ।

सरकारी वकील सुनील पांडेय ने सजा के प्रश्न पर कहा कि आरोपित महिला के झूठ के कारण एक निर्दोष व्यक्ति को अपने जीवन के बेशकीमती साढ़े चार साल जेल में बिताने पड़े। झूठी गवाही के आधार पर उसे उम्रकैद भी हो सकती थी। आरोपित को जेल में रहने का कलंक झेलना पड़ा। झूठी महिला को ऐसा दंड मिले जो मिसाल बन सके। कोर्ट में झूठा बयान दर्ज देने के आरोप में महिला को 1653 दिनों की कठोर सजा सुनाई गई है। 5 लाख 88 हजार 822 रुपए जुर्माना अदा न करने पर महिला को छह माह अतिरिक्त जेल में बिताने होंगे।

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