दाद-खाज-खुजली और वायरल

बाराबंकी : वॉयरल बुखार के साथ दाद-खाज-खुजली की जलन से लोग परेशान हैं। जिला चिकित्सालय में औसतन दो हज

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Sep 2018 12:17 AM (IST) Updated:Tue, 11 Sep 2018 12:17 AM (IST)
दाद-खाज-खुजली और वायरल
दाद-खाज-खुजली और वायरल

बाराबंकी : वॉयरल बुखार के साथ दाद-खाज-खुजली की जलन से लोग परेशान हैं। जिला चिकित्सालय में औसतन दो हजार मरीज रोज आ रहे हैं इनमें से 70 फीसदी मरीज वॉयरल बुखार, खांसी व जुकाम के साथ ही दाद-खाज खुजली से परेशान हैं। बारिश के कारण यह बीमारियां पैदा हुई हैं। इनके निदान के लिए जिला चिकित्सालय में पर्याप्त दवाएं नहीं हैं। सोमवार को ओपीडी में मरीजों की लाइन खासकर फिजीशियन डॉक्टरों व त्वचारोग विशेषज्ञ डॉक्टर के कक्ष के बाहर देखने के मिली। सुबह आठ बजे ही आने वाली बंकी की निवासी दो वृद्ध महिलाओं राज कुमारी व सुनीता ने हाथ में एंटी एलर्जी की दवाई दिखाते हुए कहा कि बुखार की दवाई पैरासीटामॉल नहीं हैं। डॉक्टर ने बाहर से खरीद लेने का सुझाव दिया है। बुखार से तपते दो वर्षीय बच्चे रितेश को दिखाने की खातिर पर्चा बनवाने की लाइन में लगी विशुनपुर की शांती देवी ने कहा कि लगता है दो घंटे पर्चा बनवाने में ही लग जाएंगे। फिजीशियन डॉ. राजेश कुशवाहा व डॉ. एनपी ¨सह के कक्ष के सामने मरीजों की लंबी लाइन रही। कई मरीज परेशान होकर लाइन में बैठे दिखे।

त्वचा रोग विशेषज्ञ के कक्ष के सामने भी भीड़ रही। कोई दाद तो कोई खुजली से परेशान दिखा। दाद व खुजली में लगाने लगाने वाला लोशन व एंटी फंगस वाली दवाई अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में एंटी एलर्जी की दवा से ही खुजली शांत करने की कोशिश हो रही है। डॉक्टर ने बताया कि प्रतिदिन दो से ढाई सौ मरीज दाद-खाज खुजली के आते हैं। दाद से पीड़ित गीता व खुजली से परेशान सतरिख की शिव प्यारी की हालत बहुत ही खराब दिखी।इन दवाओं की है जरूरत : जिला चिकित्सालय में पैरासीटामॉल, सिप्रो या सेप्ट्रान, आंख व कान का ड्राप, मेटोनाजॉल, दाद व खुजली का लोशन की अत्यधिक आवश्यकता है। संसाधनों के मुताबिक इलाज : सीएमएस डॉ. एसके ¨सह का कहना है कि पैरासीटामाल सहित अन्य दवाइयों की डिमांड की गई है। उपलब्ध संसाधनों के मुताबिक मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

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