मस्त के आगे सारे दांव पस्त, भाजपा दूसरी बार सिरताज

महर्षि भृगु की धरती मतदाताओं ने दोबारा भाजपा पर भरोसा जताया है। वीरेंद्र सिंह मस्त को पार्टी ने भदोही से हटाकर बलिया से चुनाव लड़ाया था। वह इसी जिले के दोकटी गांव के निवासी भी हैं। युवा तुर्क के गढ़ बलिया में दोबारा भाजपा को लगातार विजय मिलने पर पार्टी के सभी कार्यकर्ता और समर्थक उछल पड़े। ढ़ोल-ताशे के धुन पर युवा थिरकने लगे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 11:40 PM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 11:40 PM (IST)
मस्त के आगे सारे दांव पस्त, भाजपा दूसरी बार सिरताज
मस्त के आगे सारे दांव पस्त, भाजपा दूसरी बार सिरताज

डा. रवींद्र मिश्र, बलिया

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महर्षि भृगु की धरती पर मतदाताओं ने दोबारा भारतीय जनता पार्टी पर भरोसा जताया है। गुरुवार की शाम बलिया संसदीय सीट से भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त के विजय की घोषणा की गई। मस्त को कुल 469114 मत मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी सनातन पाडेय को 453595 मत। इस तरह मस्त 15519 मतों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

वीरेंद्र सिंह मस्त को भाजपा ने भदोही से हटाकर बलिया से चुनाव लड़ाया था। वह इसी जिले के दोकटी गांव के निवासी भी हैं। युवा तुर्क चंद्रशेखर (पूर्व पीएम) के गढ़ बलिया में दोबारा भाजपा को लगातार विजय मिलने पर पार्टी के सभी कार्यकर्ता और समर्थक उछल पड़े। ढोल-ताशे के धुन पर युवा थिरकने लगे। हर विधानसभा में जश्न मनाया जाने लगा। मस्त को जिताने में सभी भाजपा विधायकों और मंत्रियों ने भी अपने खुद के चुनाव की तरह मेहनत की। उसी का नतीजा रहा कि कांटे की टक्कर के बावजूद भाजपा यह सीट दोबारा अपने नाम कर सकी। बलिया लोकसभा चुनाव मैदान में कुल 10 प्रत्याशियों ने ताल ठोंकी थी। चंद्रशेखर परिवार की उपेक्षा का भी पड़ा असर

चुनाव नतीजे आने के बाद लोकसभा के अधिकांश राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस चुनाव में मोदी नाम तो हावी रहा ही, इससे अलग पूर्व पीएम चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को पार्टी से टिकट नहीं देना भी सपा के लिए ठीक नहीं रहा। सपा ने यहां ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए सनातन पांडेय को टिकट जरूर दिया, लेकिन उसी दिन से बागी धरती की राजनीति भी करवट लेने लगी। नीरज शेखर के ही समर्थक रहे निर्भय सिंह गहलौत ने बताया कि वर्ष 1977 से अब तक के इतिहास में यह पहला अवसर था जब चंद्रशेखर परिवार से कोई भी अपने गढ़ में चुनाव नहीं लड़ा। इसके चलते चंद्रशेखर के लोग अंदर ही अंदर काफी नाराज थे। इस परिवार से कोई प्रत्याशी नहीं होने से जो लोग सपा को वोट करते थे, वे मस्त की ओर घूम गए और अपने मजबूत गढ़ में भी सपा को हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 2014 में भाजपा के भरत को मिली थी विजय

वर्ष 2014 के चुनावी आंकड़े को उठाएं तो तब भी मोदी की लहर थी इसके बावजूद यहां सपा से नीरज शेखर 2,20,324 मत, कौमी एकता दल के अफजाल अंसारी 1,63,943 मत, बसपा के वीरेंद्र कुमार पाठक 1,41,684 मत पाए थे जबकि भाजपा से चुनाव लड़े भरत सिंह 3,59,758 मत प्राप्त कर निर्वाचित हुए थे। तब के विपक्षी वोटों को जोड़ दें तो सपा, कौमी एकता दल और बसपा के वोटों को जोड़कर कुल 5,25,951 मत होते हैं। इतने वोट भाजपा को पटकनी देने के लिए काफी थे लेकिन सपा में टिकट गेम ने पूरी गणित को ही उलट दिया। यहां से कभी नहीं जीतने वाली भाजपा लगातार दूसरी बार सबको शिकस्त देने में कामयाब रही। 72-बलिया संसदीय सीट के प्रत्याशियों को मिले मत

उम्मीदवार दल मिले मत

वीरेन्द्र सिंह मस्त भाजपा 469114

सनातन पांडेय सपा 453595

अरविद भारतीय जननायक पार्टी 4025

उदय प्रकाश जनता राज पार्टी 1359

गोपाल खरवार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 4002

जन्मेजय भारतीय समाज पार्टी 2454

विनोद तिवारी सुभासपा 35900

सीमा चौहान जनता क्रांति पार्टी 2453

ओमप्रकाश निर्दल 1775

मेजर रमेशचंद्र अभाहिमस निर्दल 5440

नोटा पर पड़े मत 9615

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