शिक्षा की डगर में मुश्किलों का सफर

नाव डूबी तो पढ़ाई हो गई बंद यहां के कुछ बच्चे प्राथमिक विद्यालय सेमरहना में पढ़ने के लिए चूका नाला नाव से पार करके जाते हैं। 20 दिन पहले पुरानी नाव पानी भरे दलदल में डूब गई तो बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया। विजय बहादुर तेजबहादुर केशर प्रीती राहुल खुशबू किरन कहते हैं कि 20 दिनों से वे स्कूल नहीं जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Feb 2020 11:26 PM (IST) Updated:Fri, 14 Feb 2020 06:03 AM (IST)
शिक्षा की डगर में मुश्किलों का सफर
शिक्षा की डगर में मुश्किलों का सफर

बहराइच : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित मिहीपुरवा ब्लॉक के जंगल व नदी-नालों से घिरे गांवों में शिक्षा की डगर मुश्किलों से भरी है। इसी ब्लॉक का उर्रा सिगहिया गांव चफरा ताल और चूका नाला से घिरा है जहां मगरमच्छ और घड़ियालों ने डेरा जमा रखा है। यहां के बच्चे जान को जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं और जिम्मेदार अधिकारी कहते हैं उन्हें जानकारी ही नहीं है। विजय, तेजबहादुर, केशर, प्रीती, राहुल, खुशबू, किरन ने बताया कि अभी हाल में नाव नाले में डूब गई तो 20 दिन तक स्कूल नहीं जा पाए। गांव में नहीं है कोई प्राथमिक विद्यालय

सिगहिया गांव में कोई प्राथमिक विद्यालय नहीं है। यहां से लगभग तीन किमी की दूरी पर शोभापुरवा में प्राथमिक विद्यालय है और इसके बीच में चफरा ताल व गहरा नाला है। सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर सेमरहना में प्राथमिक विद्यालय व इंटर कॉलेज है, लेकिन सिगहिया व सेमरहना के बीच ढाई सौ मीटर चूका नाला पड़ता है और इस पर कोई पुल न होने के कारण लगभग 20 बच्चे हर रोज अथाह पानी में डोंगी नाव से पार कर स्कूल जाते हैं। यहां बिजली है न सड़क

बहराइच से लगभग 100 किमी दूर स्थित 35 घरों वाले इस गांव की आबादी तकरीबन ढाई सौ होगी। कतर्नियाघाट के घनघोर जंगलों व नदी-नालों से घिरे इस गांव में बिजली है न ही सड़क और न पक्का मकान। सरकारी योजनाएं भी धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। शुद्ध पेयजल के लिए हैंडपंप भी नहीं है।

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कोट

गांव में विद्यालय न होने से नाला पार कर दूसरे गांव में बच्चों के स्कूल जाने की जानकारी नहीं है। बीईओ मिहीपुरवा से जानकारी लेकर उचित कदम उठाया जाएगा।

- उदयराज, प्रभारी बीएसए।

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