मृदा परीक्षण ::: मर्जी से नहीं, जांच कराकर खेत में डालें खाद

किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कराने के लिए कहने को तो जिले में चार मृदा परीक्षण लैब का संचालन किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Nov 2019 11:40 PM (IST) Updated:Sun, 03 Nov 2019 11:40 PM (IST)
मृदा परीक्षण ::: मर्जी से नहीं, जांच कराकर खेत में डालें खाद
मृदा परीक्षण ::: मर्जी से नहीं, जांच कराकर खेत में डालें खाद

जागरण संवाददाता, बदायूं : किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कराने के लिए कहने को तो जिले में चार मृदा परीक्षण लैब का संचालन किया जा रहा है। कुछ किसानों को रिपोर्ट मिल जाती है तो कुछ रिपोर्ट का इंतजार करते रहते हैं। उनके अलावा बहुत से किसान ऐसे भी हैं जो बिना जांच कराए ही खेती कर रहे हैं। फसल के नुकसान होने पर अपनी मर्जी से दवा का छिड़काव करते हैं जो नुकसानदायक हो जाता है। जरूरी है कि फसल की बीमारी की सही जानकारी हो तभी उसके इलाज के लिए देशी दवा का छिड़काव किया जाए। कैल्शियम की कमी के कारण पौधे की प्राथमिक पत्तियां देर से निकलती हैं। शीर्ष की कलियां खराब हो जाती हैं। बोरान की कमी से पत्तियों का रंगा पीला पड़ जाता है। कलियां सफेद या हल्के भूरे रंग की दिखाई देने लगती हैं। गंधक न होने पर पत्तियां गहरे हरे से पीले रंग में बदल जाती हैं। इसकी कमी से सबसे पहले नई पत्तियां प्रभावित होती हैं। लोहा की कमी के कारण पौधे की शिराओं को छोड़कर पत्तियों का रंग एक साथ पीला हो जाता है। भूरे रंग का धब्बे होने लगते हैं। मैग्नीज की कमी के कारण पत्तियों का रंग पीला या लाल धूसर हो जाता है। मैग्नीशियम से पत्तियों का अग्रभाग का रंग गहरा हरा होकर शिराओं का मध्य भाग सुनहरा पीला हो जाता है। पोटैशियम की जरूरत होने पर पत्ती के बाहरी किनारे कट-फट जाते हैं। नाइट्रोजन की कमी होने पर पौधे हल्के हरे रंग या हल्के पीले रंग के होकर बौने रह जाते हैं। फास्फोरस की कमी से फसल की पत्तियां छोटी रह जाती हैं। पत्ते का रंग गुलाबी होकर गहरे हरा रंग का हो जाता है। 102 रुपये में कराएं जांच

कृषि विभाग की ओर से संचालित लैबों में 102 रुपये खर्च करके मिट्टी के नमूनों में नाइट्रोजन, पोटॉश, फॉस्फोरस, पॉवर ऑफ हाइड्रोजन, ईसी, सल्फर, जिक, बोरान, आयरन, मैग्नीज, कॉपर की जांच कराई जा सकती है।

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