गौरीशंकर मंदिर में है देश का इकलौता रसलिंग

By Edited By: Publish:Sat, 09 Mar 2013 11:04 PM (IST) Updated:Sat, 09 Mar 2013 11:05 PM (IST)
गौरीशंकर मंदिर में है देश का इकलौता रसलिंग

बदायूं : उसावां रोड पर मंडी समिति के पास सहस्त्रधाम गौरी शंकर देवालय की स्थापना 2001 में राम शरण रस्तोगी ने करायी थी। इस मंदिर में जो रसलिंग स्थापित है, वैसा देश में दूसरा रसलिंग नहीें है। ऐसा चमत्कारी रसलिंग की मूर्ति भारत में कहीं नहीं है। हरिद्वार में एक रसलिंग है भी तो उसकी गिनती दूसरे नंबर पर होती है। ऐसा रसलिंग काठमांडो (नेपाल) में है। स्वर्ण (सोना) और पारे से निर्मित शिवलिंग ही रसलिंग महाशिवलिंग मानी जाती है।

पशुपति नाथ मंदिर काठमांडो (नेपाल) के पैटर्न पर ही सहस्त्रधाम गौरी शंकर मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है।

आचार्य नारायण प्रसाद मुदगल बताते हैं कि रसलिंगेश्वर महादेव भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाला, आरोग्य, धन धान्य प्रदायी कालों के काल भोले बाबा दर्शन होने पर भवरोग, शोक हट जाता है। रसलिंग के स्पर्श मात्र से असाघ्य रोग हटकर मनोबांछित फल प्राप्त होता है। महाभिषेक दस मार्च को प्रात: 4.57 बजे से महारुद्राभिषेक पंच्चामृत द्वारा किया जाएगा।

बदायूं : सहस्त्रधाम गौरी शंकर देवालय में स्थित शिवलिंग की पूजा का अपना महत्व है। कहते हैं कि सच्चे मन से पूजा करने से मन्नत अवश्य पूरी होती है।

रसलिंग स्पर्श करने को धोती, कुर्ता पहनकर आयें

सहस्त्रधाम गौरी शंकर देवालय में रसलिंग को इस बार महाशिवरात्रि पर्व पर भक्त इसे स्पर्श कराने की व्यवस्था की गयी है। इसके लिए यह आवश्यक है कि भक्त कुर्ता धोती या पाजामा पहन कर आयें। चमड़े की बेल्ट या अन्य किसी वस्तु के साथ पूजा के लिए प्रवेश वर्जित रहेगा।

कराई जा रही बैरीकेडिंग

सहस्त्रधाम गौरी शंकर देवालय के पुजारी सुनील हैं। मंदिर की आकर्षक सजावट की जा रही है। इस मंदिर पर जलाभिषेक करने के लिए उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए बैरीकेडिंग की जा रही है। यहां एक ओर से शिवभक्त मंदिर मे प्रवेश करेंगे और दूसरी ओर से निकलेगे। यहां पुलिस की भी व्यवस्था रहती है।

इस तरह पूजा का मिलता है मनो बांछित फल

-रसलिंग की विधिवत पूजा अर्चना, वंदना करने से अर्जुन के समान यशस्वी हो जाते हैं।

-विद्यार्थी द्वारा रसलिंग में सरस्वती स्त्रोत के साथ रुद्राभिषेक कराकर पूजन करने से सरस्वती की कृपा मिलती है।

-शहद व गन्ने के रस से विधिवत लक्ष्मीसुक्त् द्वारा रसलिंग रुद्राभिषेक करने से व्यापार में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है।

-पुत्र की कामना रखने वाले पति पत्‍‌नी संतान गोपाल स्त्रोत के साथ पंच्चामृत द्वारा रसलिंग में रुद्राभिषेक एवं गाय के दूध््रा से निर्मित खीर की आहुति देने से पुत्र रत्‍‌न प्राप्त होता है।

-जुड़वा गौरी गणेश रुद्राक्ष रसलिंग में रखकर गंगा जल के साथ वेदपाठ कराकर धारण करने से कुबेर के समान धनवान हो जाते हैं।

पूजन सामग्री

महाशिवरात्रि पर रसलिंग की पूजा के लिए दूध, दही, घी, शहद, बूरा, जल, भांग, धतूरा, कनेर, काल तिल, इंद्र जौ, फूल, नैवेद्य से पूजन करना चाहिए।

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