वर्षो से बदहाली पर आंसू बहा रहा चौबे का तालाब

संवाद सूत्र, फफूंद (औरैया) : सूफी संतों की नगरी कहे जाने वाले कस्बा फफूंद में बना तालाब धी

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Feb 2019 10:50 PM (IST) Updated:Sun, 03 Feb 2019 10:50 PM (IST)
वर्षो से बदहाली पर आंसू बहा रहा चौबे का तालाब
वर्षो से बदहाली पर आंसू बहा रहा चौबे का तालाब

संवाद सूत्र, फफूंद (औरैया) : सूफी संतों की नगरी कहे जाने वाले कस्बा फफूंद में बना तालाब धीरे-धीरे अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है। यहां पर बनी सीढि़यां जर्जर हो गई हैं। गंदगी की वजह से यहां पर आने वाले लोगों को भारी परेशानी होती है। धार्मिक कार्यक्रमों का केंद्र यह तालाब अपनी दुर्दशा के आंसू बहा रहा है। कस्बावासियों ने इसका सौन्दर्यीकरण कराकर भव्यता प्रदान किए जाने की मांग कई बार उठाई गई। लेकिन शासन प्रशासन की नजर इस ओर नहीं जा रही है।

फफूंद-ककोर मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक चौबे का तालाब तकरीबन तीन सौ वर्ष पुरानी यादें संजोए हुए है। नगर प्रशासन की अनदेखी के चलते अब यह अवशेष का रूप लेता जा रहा है। तालाब के आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यहां पर शाम के समय नव युवक, बुजुर्ग टहलने आते हैं। तालाब में पड़ी मछलियों को लाही व आटे की गोलियां खिलाते हैं। यह तालाब तमाम धार्मिक कार्यक्रम का केंद्र ¨बदु भी है। दूर दराज से लोग इस तालाब को देखने भी आते हैं। कुछ वर्ष पहले नगर प्रशासन ने तालाब की टूटी सीढि़यों की मरम्मत इतिश्री कर ली। लोगों ने पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की मांग दोहराई है।

तालाब की खास बातें

गर्मी हो या सर्दी इस तालाब का पानी कभी नही सूखा। धार्मिक भावना व जीवों में दयाभाव रखने वाली महिला व पुरुष यहां आकर मछलियों को उनका भोजन देते हैं। उस समय का ²श्य बहुत ही मनोहारी होता है। जब वह उछल-कूद करके आटा की गोलियां खाती हैं। दूर दराज से आने वाले पक्षी यहां ठहरते हैं। यहां पर भगवान शंकर का बहुत पुराना प्रसिद्ध मंदिर स्थापित है।

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समाज सेवी मानवेंद्र पोरवाल का कहना है कि शहर स्थित ऐतिहासिक चौबे का तालाब तमाम कार्यक्रमों का केंद्र ¨बदु है। इसके साथ ही कस्बा व आस पास के क्षेत्र का अंत्येष्टि स्थल है। ऐसे में इसका सौंदर्यीकरण होना अत्यंत आवश्यक है। जावेद अहमद बताते हैं कि यह तालाब वर्षों पुराना यह तालाब अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। इसके किनारे बनी सीढि़यां व पक्की बाउंड्री जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गई है। धार्मिक आस्थाओं का केंद्र इस तालाब को भव्य रूप प्रदान किया जाना चाहिए। लल्लू ठाकुर का कहना है कि यहां पर कस्बा व क्षेत्र के लोग शाम को घूमने के लिए पहुंचते हैं। इसलिए यहां सौंदर्यीकरण कराकर पौधे भी लगवाने चाहिए। जिससे यहां आने वाले लोग इसका सुख व आनंद उठा सकें।

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