झुलसे अरमानों को नहीं मिली राहत की फुहार

अजय सिंह, अंबेडकरनगर आलापुर तहसील के रामजी तिवारी व महेंद्र मिश्र ने करीब 15-15 बीघा भूमि पर ध

By Edited By: Publish:Wed, 20 Apr 2016 10:45 PM (IST) Updated:Wed, 20 Apr 2016 10:45 PM (IST)
झुलसे अरमानों को नहीं मिली राहत की फुहार

अजय सिंह, अंबेडकरनगर

आलापुर तहसील के रामजी तिवारी व महेंद्र मिश्र ने करीब 15-15 बीघा भूमि पर धान की रोपाई करायी थी। सोचा था कि धान का उत्पादन कर वह मुनाफा कमाएं। मुनाफे की राशि का इस्तेमाल घरेलू खर्च के साथ ही परिवार के विकास में लगाएंगे, लेकिन इनके अरमानों पर पानी फिर गया। कारण पिछली बार बारिश न होने से फसल पूरी तरह नष्ट हो गयी। मदद के नाम पर धेला तक न मिला। इसी क्षेत्र के साबितपुर निवासी शंकर माली व जै¨सहपुर के नागेंद्र चौबे की दस-दस बीघा धान की फसल नष्ट हो गयी। अब तक इन किसानों को सरकारी मदद के नाम पर फूटी कौड़ी नहीं मिली। वहीं कटेहरी ब्लॉक के आदमपुर ¨तदौली निवासी भगौती प्रसाद ने एक बीघा में धान की रोपाई की थी। सूखे के चलते इनकी फसल बर्बाद हो गयी। पता चला है कि सूखा राहत का चेक बना है, लेकिन लेखपाल से मुलाकात न करने के कारण अबतक चेक नहीं मिल सका। यह मामले बानगी हैं केंद्र व प्रदेश सरकार के सूखा पीड़ित किसानों की मदद के। इसी तरह कटेहरी के रामभुवाल निषाद हों या टांडा के आस मोहम्मद अथवा जलालपुर के दुखी प्रसाद, इनकी भी मदद की आस पूरी नहीं हो सकी। अब मिलेगा, बजट आएगा तब मिलेगा, देखेंगे, ऐसे शब्द सुनकर पीड़ित किसानों के कान भर चुके हैं। वहीं जनता की रहनुमाई का दावा करने वाले माननीयों को भी किसानों के जले पर मरहम लगाने की फिक्र नहीं है।

पिछली बार आवर्षण की स्थिति ने धान किसानों की कमर तोड़ दी थी। आसमान की ओर टकटकी लगाए किसान बारिश का इंतजार करते रहे, लेकिन उनके खेतों में धूल उड़ती रही। ऐसे में काफी हद तक फसल प्रभावित हुई। कुछ किसान ऐसे रहे कि पानी के अभाव में धान की रोपाई तक नहीं कर सके। बड़ी संख्या में ऐसे किसान भी हैं जो बड़ी मुश्किल से खाने भर के लिए धान का उत्पादन कर सके। बारिश से तबाह किसानों की क्षति का आंकलन प्रशासन की ओर से कराया गया। प्रशासन की रिपोर्ट में करीब 30 फीसद क्षति की रिपोर्ट भेजी गयी। इस रिपोर्ट पर विपक्षी दलों द्वारा विरोध दर्ज कराए जाने पर सरकार ने 50 फीसद क्षति मानते हुए जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया। इस आधार पर प्रशासन की ओर से जिले के करीब एक लाख 70 हजारों किसानों को मदद के लिए सूचीबद्ध किया गया। राहत राशि के नाम पर 41 करोड़ 57 लाख रुपये की मांग की गयी। इसमें से महज साढ़े चार करोड़ रुपये प्राप्त हुए जिसके वितरण का दावा तहसील स्तर से किया जा रहा है। डीएम विवेक का कहना है कि अवशेष राशि मिलने पर सहायता राशि का वितरण कराया जाएगा।

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यह है सरकारी राहत की व्यवस्था

सूखा राहत के लिए वही मानक तय है जो गत वर्ष बारिश के चलते गेहूं की फसल नष्ट होने पर तय था। इसके मुताबिक भारत सरकार और राज्य सरकार ने दो हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले किसानों के लिए 18 हजार रुपये की राहत राशि तय की थी। साथ ही किसी भी किसान को 15 सौ रुपये से कम की राहत नहीं देने की व्यवस्था है। हालांकि यह मानक किसानों को राहत देने के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा के सामान हैं। कारण यदि किसी की एक बीघा धान की फसल नष्ट हुई तो करीब दस ¨क्वटल का नुकसान हुआ। इसका मूल्य सरकारी दर पर ही लगभग 14 हजार रुपये आएगा। वहीं बड़े किसानों की कई बीघा फसल नष्ट होने से लाखों की चोट पहुंची है।

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कटेहरी ब्लॉक के हरिश्चंद्रपुर के प्रधान इंद्रसेन ¨सह ने बताया कि सूखा से प्रभावित 45 किसानों को 15 सौ से लेकर 45 सौ रुपये तक का चेक प्रदान किया जा चुका है। छह किसान विभिन्न कारणों से इस लाभ से वंचित रह गए। गेहूं की फसल के लिए 190 लोगों की सूची तैयार है, लेकिन किसी को लाभ नहीं मिल सका है।

--------तहसीलवार ब्यौरा-तहसील----प्रभावित किसान----धन की मांग-धन की उपलब्धता---किसानों में वितरण।

1-भीटी---26431---दो करोड़ 65 लाख 55 हजार रुपये--50 लाख---।2-टांडा-29000---पांच करोड़ 23 लाख रुपये---75 लाख।3-जलालपुर--22646--तीन करोड़ 64 लाख 50 हजार--75 लाख।4-आलापुर--4000---23 करोड़ रुपये--डेढ़ करोड़।

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