दुर्लभ पुस्तकों का खजाना है प्रयागराज की यह राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी, आप भी जानिए इतिहास

प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क (कंपनीबाग) में स्थित इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी जिसे अब राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता है अपने आप में सैकड़ों वर्ष का इतिहास समेटे हुए है। लाइब्रेरी की स्थापना सन् 1864 में की गई थी।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 07:30 AM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 07:30 AM (IST)
दुर्लभ पुस्तकों का खजाना है प्रयागराज की यह राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी, आप भी जानिए इतिहास
आजाद पार्क स्थित इस राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी (पुस्तकालय) में दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों का खजाना भरा पड़ा है।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क (कंपनीबाग) में स्थित इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी जिसे अब राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता है, अपने आप में सैकड़ों वर्ष का इतिहास समेटे हुए है। लाइब्रेरी की स्थापना सन् 1864 में की गई थी। वर्तमान में जिस भवन में लाइब्रेरी है, उसकी डिजाइन रिचर्ड रास्किल बाएन ने बनाई थी जो इस्काटिश बैरोनियल रिवाइवल स्थापत्य शैली पर आधारित है। संयुक्त प्रांत में तत्कालीन इलाहाबाद के कमिश्नर रहे मिस्टर म्यो के प्रयासों से भवन 1870 में बनकर तैयार हुआ था जिसमें पब्लिक लाइब्रेरी 1879 में स्थानांतरित की गई थी। कथबर्ट बेंसले थार्नहिल को समर्पित इस लाइब्रेरी को म्यो थार्नहिल मेमोरियल के नाम से भी जाना जाता है।  

विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें और पांडुलिपियां हैं यहां

आजाद पार्क में स्थित इस राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी (पुस्तकालय) में दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों का खजाना भरा पड़ा है। देश-विदेश के सैकड़ों लेखकों व साहित्यकारों की ढेरों पुस्तकें यहां मौजूद हैं जो शायद किसी अन्य पुस्तकालय में न मिलें। विभिन्न भाषाओं की किताबों और पांडुलिपियों का यहां दुर्लभ संग्रह है जिसमें हिंदी, उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी, अरबी, फारसी, फ्रेंच, बांगला, तमिल, तेलुगु, जर्मन व अन्य भाषाओं की मशहूर कृतियां हैं।

इस पुस्तकालय में संग्रहित हैं सवा लाख से अधिक किताबें

लाइब्रेरियन डा. गोपाल मोहन शुक्ला के अनुसार पुस्तकालय में सवा लाख से भी अधिक किताबें, 40 से अधिक श्रेणियों में मैगजीन, 30 के लगभग अखबार, 21 से अधिक अरबी और फारसी भाषा की पांडुलिपियां, अंग्रेजों के जमाने के कई गजेटियर, पत्र तथा विधानमंडल में पूछे गए प्रश्नोत्तर भी यहां पर उपलब्ध हैं।

दुर्लभ संग्रहों के चलते देश ही नहीं दुनिया में है इसका नाम

राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी का देश ही नहीं दुनिया में दुर्लभ संग्रहों के चलते नाम है। देश के दस शीर्ष सार्वजनिक पुस्तकालयों में शामिल इस पुस्तकालय में राष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानीय स्तर की पत्र, पत्रिकाओं के अलावा प्राचीन पुस्तकें भी मौजूद हैं जिसमें महाभारत, रामायण, शाहनामा, दीवाने महली ए नाजनीन, प्रेम दीपिका, रघुवंश ज्योतिष शास्त्र, गणेश पुराण आदि प्रमुख हैं।

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