जसरा में फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा राजकीय पशु चिकित्सालय

जसरा स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय एवं कृत्रिम गर्भाधान केंद्र मात्र एक फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है। जबकि चिकित्सालय में नियुक्त डॉक्टर कभी-कभी आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 11:39 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 11:39 PM (IST)
जसरा में फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा राजकीय पशु चिकित्सालय
जसरा में फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा राजकीय पशु चिकित्सालय

जसरा : जसरा स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय एवं कृत्रिम गर्भाधान केंद्र मात्र एक फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है। जबकि चिकित्सालय में नियुक्त डॉक्टर कभी-कभी आते हैं।

जब क्षेत्र के कुछ किसान अपने पशुओं के इलाज के लिए पशु चिकित्सालय पहुंचे तो वहां डॉक्टर नदारद थे। पशुओं के इलाज के लिए वहां फार्मासिस्ट ही मौजूद मिले। जसरा व आसपास के दर्जनों गांव के पशु पालक किसान अपने गाय भैंस व अन्य जानवर के इलाज व गर्भाधान के लिए जसरा के सरकारी पशु चिकित्सालय ले आते हैं तथा उनका इलाज व गर्भाधान करवाते हैं। मौके पर उपस्थित फार्मासिस्ट आरपी सिंह ने बताया की जानवरों का गर्भाधान 12 महीने चलता रहता है । क्षेत्र के किसान राम बहादुर यादव, कृष्ण कुमार सिंह, भोला तिवारी आदि किसानों ने बताया की सरकारी पशु चिकित्सालय के डॉ कभी कभार ही मिलते हैं । जबकि चिकित्सालय जाने पर केवल फार्मासिस्ट ही मिलते है । वही मोबाइल से जानकारी लेने पर डॉक्टर सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि वह 2 दिन की छुट्टी पर है।

पशु चिकित्सालय की पीछे की दीवार महीनों से टूटी है। जिससे अराजक तत्व अस्पताल के अंदर पीछे के रास्ते से घुस आते हैं । पशु चिकित्सालय के अधिकारी इस सब से बेखबर है तथा इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

दुग्ध उत्पादन बढ़ाने व बेसहारा मवेशियों पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही रही सेक्ड शोर्टेड सीमेन योजना के बारे में किसानों को जानकारी नहीं है। जसरा के किसान राम लखन यादव, नंद लाल यादव, कृष्ण कुमार सिंह आदि ने बताया कि इस योजना की जानकारी उन्हें नहीं है। पशु चिकित्सालय के चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि सेक्ड शार्टैड सीमेन योजना के तहत दो ढाई माह से ही सीमेंन उपलब्ध है तथा अब तक दो दर्जन पशुओं में यह सीमेन डाला गया है । उन्होंने बताया कि एक और जहां साधारण सीमेन 30 रूपये में मिलता है वही नया सिमेंन 350 रूपये सरकारी रेट में उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि इसकी सफलता की दर बहुत कम लग रही है इसलिए अभी अधिक मवेशियों को यह सीमेंन नहीं लगाया गया है। वहीं सरकारी योजना में यह बताया गया है कि इसकी सफलता की दर 95त्‍‌न है। जिसमें अधिक से अधिक फीमेल मवेशी पैदा होंगे । जिससे नस्ल सुधार, दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ नई नस्लें तैयार हो जाएंगी। जिससे पशुपालकों को अधिक से अधिक लाभ मिलेगा। जसरा के सरकारी पशु चिकित्सालय में कृत्रिम गर्भाधान के लिए मात्र दो से तीन मवेशी ही प्रतिदिन पहुंचते हैं। कभी-कभी तो एक भी मवेशी कृत्रिम गर्भाधान केंद्र पर नहीं पहुंचते। इससे पता लगता है कि सरकारी पशु चिकित्सालय से किसानों का मोह भंग हो चुका है। वह निजी झोलाछाप डॉक्टरों से पशुओं का गर्भाधान व चिकित्सा दोनों कराते हैं। पशु चिकित्सालय में उपस्थित कर्मचारियों ने बताया कि गांव गांव में प्राइवेट रूप से पशुओं में सीमेंन डालने का काम किया जा रहा है। जो सरकारी दर से अधिक रुपए लेकर सीमेंन डालने का कार्य करते हैं। यह भी बताया कि न्याय पंचायत स्तर पर पशु मित्र की नियुक्ति की गई है। वहीं पशु पालकों का कहना है कि किसान मित्र कोई कार्य नहीं कर रहे हैं। विकासखंड जसरा में 4 पशु चिकित्सालय कार्य कर रहे हैं। जसरा के अतिरिक्त जारी बाजार ,बारा तहसील व चिल्ला गांव में अस्पताल बनाए गए।

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