अनुसूचित जाति के महात्मा बढ़ाएंगे जूना अखाड़ा की शोभा

जूना अखाड़ा की शोभा अनुसूचित जाति के महात्मा बढ़ाएंगे।महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि 1413 लोगों को दीक्षित करेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 04 Dec 2018 11:59 AM (IST) Updated:Tue, 04 Dec 2018 11:59 AM (IST)
अनुसूचित जाति के महात्मा बढ़ाएंगे जूना अखाड़ा की शोभा
अनुसूचित जाति के महात्मा बढ़ाएंगे जूना अखाड़ा की शोभा

प्रयागराज : भय, लोभ और उपेक्षा से दूसरा धर्म अपनाने वाले, ङ्क्षहदू धर्म से दूर रहने वाले अनुसूचित जाति- जनजाति व पिछड़ी जाति के लोग वैदिक रीति-रिवाजों को अपनाएंगे। इसके लिए जूना अखाड़ा अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अखाड़े ने इसके लिए 24 अप्रैल 2018 को प्रयाग स्थित मौज गिरि मंदिर में अनुसूचित जाति के कन्हैया प्रभुनंद गिरि का महामंडलेश्वर पदवी पर पट्टाभिषेक किया। फिर कन्हैया को धर्मांतरण करने वाले ङ्क्षहदुओं को वापस धर्म में लाने की कमान सौंपी।

महामंडलेश्वर बनने के बाद कन्हैया ने ईसाई, बौद्ध व मुस्लिम धर्म अपनाने वाले लोगों से मिलकर उन्हें धार्मिक, सामाजिक संरक्षण देने का दिलासा देकर पुन: ङ्क्षहदू धर्म में आने को प्रेरित किया। इनकी प्रेरणा से प्रयाग कुंभ मेला में 1413 लोग संन्यास की दीक्षा लेने को तैयार हो गए। इसी के साथ उनकी ङ्क्षहदू धर्म में वापसी हो जाएगी। वह उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 89, गाजीपुर के 54, आजमगढ़ के 123, अंबेडकरनगर के 51, कुशीनगर के 24, फैजाबाद के 29, कौशांबी जिला के 43 लोगों को वापस ङ्क्षहदू धर्म में आने को प्रेरित कर चुके हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के 140, गुजरात के 234, पंजाब के 446, महाराष्ट्र के 180 लोगों ने ङ्क्षहदू धर्म अपनाने को हामी भरी है। इसमें 485 बौद्ध, 725 ईसाई व बाकी मुस्लिम बने थे।

विधिवत लेंगे दीक्षा

दूसरा धर्म ग्रहण करने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ी जाति के लोगों का कुंभ में संगम तट पर मुंडन कराकर स्नान कराया जाएगा। महिलाओं का मुंडन नहीं होगा, उन्हें सिर्फ स्नान करना होगा। फिर सामूहिक पिंडदान व पूजन कराकर ङ्क्षहदू धर्म में वापसी कराई जाएगी।

देंगे तुलसी, गीता, रुद्राक्ष की माला

हिंदू धर्म अपनाने वाले लोगों को तुलसी का पौधा, गीता की पुस्तक, रुद्राक्ष की माला भेंट की जाएगी। साथ ही हिंदू धर्म के तीज-त्योहार, संस्कार पर आधारित पुस्तक दी जाएगी, जिससे वह खुद को धर्म से जोड़कर संत के रूप में सार्थक प्रचार-प्रसार कर सकें।

मैं बौद्ध, ईसाई व मुस्लिम बनने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ी जाति के लोगों से मिल रहा हूं। उन्हें संस्कार, सम्मान, शिक्षा, संगठन, सुरक्षा, संघर्ष व सेवा का मर्म समझाते हुए वापस हिंदू धर्म में आने को प्रेरित किया है। इसका सार्थक असर हुआ है। कुंभ में ऐसे लोगों को संन्यास की दीक्षा दी जाएगी।

-महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि

पुन: हिंदू धर्म में लौटने वाले लोगों का जूना अखाड़ा में पूरा सम्मान है। साजिश के तहत समाज के कुछ अराजकतत्व हिंदुओं को बांट रहे थे। उन्हें जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करके प्रताडि़त किया गया। ऐसे लोगों को अखाड़ा संरक्षण देकर हिंदू धर्म में वापस लाएगा। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है।

-जगद्गुरु पंचानन गिरि, जूना अखाड़ा

हिंदुओं को एकजुट करने की जरूरत है। उसकी एकजुटता से ही भारत विश्वगुरु की पदवी पर आसीन होगा। ऐसा करने के लिए धर्म के क्षेत्र में आपसी सौहाद्र्र बनाने का प्रयास हो रहा है, जिसका सार्थक परिणाम सामने आने लगा है। इस पहल का व्यापक असर देखने को मिलेगा।

-महंत नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद

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