इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानद उपाधि के विरोध में मंत्रालय का करेंगे घेराव prayagraj News

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानद उपाधि के विरोध में इविवि के रिटायर्ड शिक्षक प्रोफेसर राम किशोर शास्‍त्री विरोध कर रहे हैं। उन्‍होंने अब मंत्रालय का घेराव करने का निर्णय लिया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 31 Aug 2019 01:24 PM (IST) Updated:Mon, 02 Sep 2019 03:27 PM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानद उपाधि के विरोध में मंत्रालय का करेंगे घेराव prayagraj News
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानद उपाधि के विरोध में मंत्रालय का करेंगे घेराव prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। शिक्षक दिवस यानी पांच सितंबर को होने वाले दीक्षा समारोह में डीजीपी ओपी सिंह को मानद उपाधि पर छिड़ी रार थमने का नाम ही नहीं ले रही है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रिटायर्ड शिक्षक प्रो. राम किशोर शास्त्री ने प्रेस वार्ता में कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन को भय है कि दीक्षा समारोह में प्रो. शास्त्री बाधा डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए इविवि प्रशासन बेफिक्र रहे। अब कार्य परिषद की बैठक में भी फैसला लिया गया है तो विवि प्रशासन यह भी जान ले कि इसी दिन हम साथियों के साथ विरोध दर्ज कराने के लिए दिल्ली पहुंचकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय का घेराव करेंगे।

कुलपति को हटाने की करेंगे मांग

वहां वह कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू को हटाए जाने की मांग भी करेंगे। उन्होंने इस दौरान इविवि से जुड़े सभी लोगों से अपील की कि पांच सितंबर को विवि का अध:पतन दिवस मनाएं। प्रो. शास्त्री ने कहा मैं दीक्षा समारोह का विरोधी नहीं हूं लेकिन मानाभिषेक समारोह करके कुलपति ने अपने अवैध कृत्यों के छिपाने के लिए मानद उपाधि प्रदान करने का जो निम्न स्तरीय निर्णय लिया है, उसका विरोध करता रहूंगा। इविवि के रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ला की ओर से मुकदमा दर्ज कराने के लिए दी गई तहरीर के बारे में उन्होंने कहा कि अपनी बात कहने पर इविवि प्रशासन मुकदमा दर्ज करार रहा है। उन्होंने कहा अब वह इविवि की गरिमा को बचाने के लिए संघर्ष समिति बनाएंगे। इसमें समाज के हर तबके के लोगों को जोड़ा जाएगा।

पत्राचार संस्थान की जांच नहीं करेंगे जस्टिस टंडन

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पत्राचार संस्थान प्रकरण के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज अरुण टंडन की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी भंग कर दी गई है। यह निर्णय पिछले दिनों हुई कार्य परिषद की बैठक में लिया गया। यह दावा प्रो. राम किशोर शास्त्री ने किया। पत्राचार संस्थान को बंद करने के बाद संपत्ति और देनदारियों सहित संस्थान से जुड़े अन्य मुद्दों को निस्तारित करने के लिए एक कमेटी गठित की गई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि जस्टिस अरुण टंडन मामले की जांच करेंगे। इस पर संस्थान के अधिकारियों और कर्मचारियों ने रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ला को पत्र लिखकर कमेटी को भंग करने की मांग की। सभी का कहना था कि मामले की जांच जस्टिस अरुण टंडन की जगह किसी और से कराई जाए।

प्रो. शास्त्री ने फैसले का स्वागत करते हुए कार्य परिषद के सदस्यों का आभार जताया

प्रो. शास्त्री ने बताया कि मामला 28 अगस्त को हुई कार्य परिषद की बैठक में भी उठा। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि जस्टिस टंडन के किसी भी जांच कमेटी में सदस्य अथवा अध्यक्ष पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उन्होंने इस फैसले का स्वागत करते हुए कार्य परिषद के सदस्यों का आभार जताया है। प्रो. शास्त्री ने मांग किया है कि अब तक जस्टिस टंडन द्वारा लिए गए फैसले को भी निरस्त कर नए सिरे से जांच कराई जाए। हालांकि, इस बारे में इविवि के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. चित्तरंजन कुमार का कहना है कि ऐसा कोई फैसला लिया ही नहीं गया है।

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