प्रयागराज के इन घाटों की महिमा अपरंपार, एक डुबकी से होता है उद्धार

गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम स्थल पर निर्मित त्रिवेणी घाट के अलावा यहां पर दर्जनों घाट हैं जहां पूरे साल स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से आने वाले श्रद्धालु स्नान-दान करके पुण्य लाभ कमाते हैं। विशेष पर्वों पर भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Mon, 23 Nov 2020 04:00 PM (IST) Updated:Mon, 23 Nov 2020 04:00 PM (IST)
प्रयागराज के इन घाटों की महिमा अपरंपार, एक डुबकी से होता है उद्धार
गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम स्थल पर निर्मित त्रिवेणी घाट के अलावा यहां पर दर्जनों घाट हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग में ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के अनेक स्थल बिखरे पड़े हैं जो यहां की थाती भी हैं। गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम स्थल पर निर्मित त्रिवेणी घाट के  अलावा यहां पर दर्जनों घाट हैं जहां पूरे साल स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से आने वाले श्रद्धालु स्नान-दान करके पुण्य लाभ कमाते हैं। विशेष पर्वों पर भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। कुंभ, अर्ध कुंभ और माघ मेले में तो यह संख्या करोड़ों में पहुंच जाती है।

संगम या त्रिवेणी घाट :

गंगा-यमुना और सरस्वती के संगम स्थल को ही त्रिवेणी अथवा संगम घाट के नाम से जाना जाता है। धार्मिक महत्व होने के कारण पूरे साल यहां स्नानार्थियों की भीड़ आती है। विशेष पर्वों पर यह संख्या काफी बढ़ जाती है। पवित्र नदियों का संगम होने के कारण इस घाट से लोगों की आस्था जुड़ी है। श्रद्धालु जन यहां एक डुबकी अवश्य लगाना चाहते हैं।

गंगा के प्रमुख घाट

दशाश्वमेध घाट :

दशाश्वमेध घाट दारागंज मुहल्ले के सामने गंगा पर स्थित है। इसका विशेष महत्व है। मान्यता है कि ब्रम्हा जी ने इस क्षेत्र में दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। दशाश्वमेश्वर शिव की स्थापना भी की थी। पौराणिक मान्यता के चलते साल भर यहां स्नानार्थी आते रहते हैं। सावन मास में बड़ी संख्या में शिव भक्त यहां से गंगा जल लेकर भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए जाते हैं।

रसूलाबाद घाट :

यह घाट शहर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित रसूलाबाद मुहल्ले में गंगा तट पर है। यहां पर पक्का घाट बनाया गया है। जहां पर वर्ष भर लोग स्नानादि करते हैं। यहां पर अंतिम संस्कार भी किया जाता है। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद सहित तमाम ख्यातिनाम लोगों का यहां पर अंतिम संस्कार होने के कारण इस घाट का ऐतिहासिक महत्व भी है।

शंकर घाट :

रसूलाबाद के समीप ही तेलियरगंज मुहल्ले में गंगा तट पर शंकर घाट है। यहां नागेश्वर महादेव मंदिर के साथ अन्य मंदिर हैं जिसमें हनुमान, गणेश, मां दुर्गा आदि की मूर्तियां विराजमान हैं। स्थानीय लोगों के अलावा गंगा पार के ग्रामीण इलाकों से भी लोग स्नान करने यहां पर आते हैं।

द्रौपदी घाट :

कैंट थाना क्षेत्र में यह घाट गंगा तट पर स्थित है। प्रयाग स्थित 12 माधवों में बिंदु माधव यहीं पर स्थित हैं।

रामघाट :

यह घाट संगम क्षेत्र में गंगा पर स्थित है। त्रिवेणी क्षेत्र स्थित काली सड़क से यहां सीधे पहुंचा जा सकता है। दैनिक स्नानार्थियों की सर्वाधिक भीड़ इस घाट पर होती है।

दारागंज श्मसान घाट :

शहर को वाराणसी से जोडऩे वाले पूर्वोत्तर रेलवे के पुल और शास्त्री पुल के बीच यह घाट स्थित है। यहां लोग आमतौर पर स्नान नहीं करते बल्कि अंतिम संस्कार क्रिया संपन्न होती है।

शिवकोटि घाट :

तेलियरगंज के समीप शिवकुटी मुहल्ले में गंगा तट पर यह घाट है। इसके समीप में ही नारायण आश्रम घाट, सीताराम धाम व कोटेश्वर महादेव घाट भी हैं जहां पर तीज त्योहार पर स्नानार्थियों की भीड़ जुटती है।

यमुना के प्रमुख घाट

बलुआ घाट :

पुराने शहर में यमुना नदी के तट पर यह घाट स्थित है। यहां पर नदी तक जाने के लिए पक्की सीढिय़ां बनी हैं। यमुना जी का मंदिर भी बना है। यहां पर निर्मित बारादरी घाट की सुंदरता को चार चांद लगाती है। कार्तिक मास में यहां पर मेला भी लगता है। इस दौरान यहां पर स्नानार्थियों की काफी भीड़ जुटती है। समीप में इस्कॉन मंदिर भी है।

गऊघाट :

दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर बने रेलवे पुल के करीब यमुना तट पर यह घाट स्थित है। यहां वर्ष भर स्थानीय लोग स्नान को जाते हैं। समीप में ही बोट क्लब है जहां लोग नौकायन करते हैं। यहीं त्रिवेणी महोत्सव का आयोजन भी होता है।

सरस्वती घाट :

अकबर के किले के करीब यमुना नदी के तट पर यह घाट स्थित है। समीप में एक रमणीक पार्क भी बनाया गया है। यहां पर लोग स्नान के अलावा नौकायन के लिए भी जाते हैं। यहां से संगम जाने के लिए हर समय नाव मिलती हैं। मनकामेश्वर महादेव का मंदिर भी इसी घाट के समीप है।

स्नान-दान का लेते हैं पुण्य लाभ

तीर्थ पुरोहित एवं प्रयागवाल सभा के महामंत्री राजेंद्र पालीवाल का कहना है कि प्रयागराज में देव नदियों पर बने घाटों पर स्नान दान करने का धार्मिक महत्व है। हिंदु और अन्य धर्मावलंबी यहां आकर धार्मिक कृत्य कर पुण्य लाभ लेते हैं। प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहा जाता है, इसलिए यहां किसी भी घाट पर स्नान-दान का फल कई गुना मिलता है। संगम और दशाश्वमेध घाट की तो काफी महिमा है। मान्यता है कि यहां एक डुबकी लगाने मात्र से लोगों का उद्धार हो जाता है।

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