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    कमला बहुगुणा के प्रयासों से बनी थी Prayagraj में कमला पंप कैनाल, इसके पानी से लहलहाती है यमुनापार में फसल

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Tue, 16 Feb 2021 02:05 PM (IST)

    कमला पंप कैनाल की स्थापना का श्रेय मुख्यमंत्री रहे हेमवतीनंदन बहुगुणा को जाता है। उनकी पत्नी इलाहाबाद से सांसद सदस्य रहीं कमला बहुगुणा ने यमुनापार में सिंचाई के लिए काफी प्रयास किया था जिसके चलते सत्तर के दशक में स्थापित कैनाल को कमला पंप कैनाल नाम दिया गया था।

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    जिला मुख्यालय से करीब पचास किलोमीटर दूर लालापुर कस्बे के पंडुआ ग्राम में कमला पंप कैनाल है।

    प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज जिला मुख्यालय से करीब पचास किलोमीटर दूर लालापुर कस्बे के पंडुआ ग्राम में कमला पंप कैनाल है। इसके पानी से कभी सूखा क्षेत्र के रूप में गिने जाने वाले यमुनापार स्थित सैकड़ों गांवों की पठारी भूमि में फसल लहलहा रही है। हालांकि स्थापना के बाद लंबा अरसा बिता चुके इस कैनाल को रखरखाव की आवश्यकता है जिसके अभाव में इस कैनाल की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है जिससे कुछ गांवों के खेत इसके पानी से वंचित हो जा रहे हैं।

    प्रदेश के पूर्व सीएम हेमवतीनंदन बहुगुणा ने कराई थी स्थापना
    कमला पंप कैनाल की स्थापना का श्रेय प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवतीनंदन बहुगुणा को जाता है। उनकी पत्नी और इलाहाबाद से संसद सदस्य रहीं कमला बहुगुणा ने यमुनापार में सिंचाई के लिए काफी प्रयास किया था जिसके चलते सत्तर के दशक में स्थापित इस कैनाल को कमला पंप कैनाल का नाम दिया गया था। वर्तमान में यह पंप कैनाल यमुनापार में सिंचाई का मुख्य जरिया है।

    यमुनापार के करीब छह सौ गांवों के खेतों को मिलता है पानी
    कमला पंप कैनाल के अधिशासी अभियंता दिलीप कुमार बताते हैं कि इस पंप कैनाल से यमुनापार के घूरपुर, जसरा, लालापुर, शंकरगढ़, बारा, जारी, नारीबारी, गौहनिया व करमा के करीब छह सौ गांवों के खेतों की सिंचाई यहां यमुना नदी से लिफ्ट किए गए पानी से होता है। क्षेत्रीय नागरिक राहुल द्विवेदी बताते हैं कि रखरखाव के अभाव में कुछ पंप चल नहीं पाते जिससे पहले से कम गांवों को ही पानी जा पाता है।

    यमुना नदी से लिफ्ट कर माइनरों में छोड़ा जाता है पानी
    पंडुआ ग्राम में बने इस पंप कैनाल के लिए पानी यमुना नदी से लिफ्ट किया जाता है फिर यहां बने टैंक से माइनरों व नहरों के सहारे आगे खेतों तक जाता है। बाघला नहर प्रखंड के अधिशासी अभियंता संजय सिंह बताते हैं कि पानी लिफ्ट करने के लिए यहां 540 क्यूसेक क्षमता के दस पंप लगाए गए हैं जिसमें नौ पंप चलते हैं जबकि एक पंप स्टैंड बाई में रहता है। कोई पंप खराब होने पर उसे चलाया जाता है।

    पंप कैनाल ने बदल जी यमुनापार में खेती की तस्वीर
    संजय सिंह बताते हैं कि कमला पंप कैनाल के पहले यमुनापार के तमाम इलाके सूखा क्षेत्र थे। पठारी इलाकों के तमाम गांवों में सिंचाई की सुविधा के अभाव में बेर्रा, बाजरा, मक्का के जैसे कुछ मोटे अनाज ही होते थे लेकिन इस कैनाल ने यमुनापार की तस्वीर बदल दी। कैनाल की स्थापना के बाद इस इलाके में किसान धान और गेहूं की फसल भी उगाने लगे।

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