नियुक्तियों व आवास भत्ते के गोलमाल में फंसे ईसीसी के पूर्व प्राचार्य

नियमों के विपरीत ईसीसी के पूर्व प्राचार्य और उनकी पत्नी ने आवास भत्ता लिया था। दो पदों पर रिटायरमेंट के पहले ही नियुक्ति भी कर पद का दुरुपयोग किया था। जांच कमेटी ने मामला पकड़ा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 14 Mar 2019 01:13 PM (IST) Updated:Thu, 14 Mar 2019 01:13 PM (IST)
नियुक्तियों व आवास भत्ते के गोलमाल में फंसे ईसीसी के पूर्व प्राचार्य
नियुक्तियों व आवास भत्ते के गोलमाल में फंसे ईसीसी के पूर्व प्राचार्य

प्रयागराज : करीब 15 लाख रुपये का दोहरा आवास भत्ता लेने के मामले में ईसीसी (इविंग क्रिश्चियन कॉलेज) के पूर्व प्राचार्य फंस गए हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जांच कमेटी ने कुलपति को सौंपी रिपोर्ट में इस वित्तीय अनियमितता की पुष्टि की है। साथ ही दो पदों पर रिटायरमेंट के पहले ही भर्तियां कर देने के कारण पद के दुरुपयोग का आरोप भी उन पर लगा है।

प्रो. हांगलू ने ईसीसी मामलों की जांच को बनाई थी कमेटी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू ने एक नवंबर 2018 को ईसीसी के मामलों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया था। 25 फरवरी को जांच कमेटी के सदस्य विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी डॉ. सुनीलकांत मिश्रा ने कुलपति को 15 पन्नों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कहा गया है कि पूर्व प्राचार्य डॉ. मरविन मैसी जुलाई 2001 में प्राचार्य बने। तब वह सपरिवार कॉलेज के आवास में रहने लगे। ऐसे में भारत सरकार के नियमानुसार उनका और उनकी पत्नी दोनों का आवास भत्ता समाप्त हो जाता है। फिर भी उनकी पत्नी डॉ. पीएस मैसी ने फरवरी 2009 से आवास भत्ता लेना शुरू कर दिया। इस तरह उन्होंने 14.71 लाख रुपये का भुगतान ले लिया।

मैसी के तर्क को जांच कमेटी ने नहीं माना तर्कसंगत

31 अक्टूबर 18 को अपने लिखित जवाब में पीएस मैसी ने बताया था कि 2009 की शुरुआत में ही वह जमुना कैंपस में अपने नए बने मकान में चली गईं और इस वजह से उन्होंने मार्च 2009 से मकान भत्ते का दावा किया था, क्योंकि उनके पति कॉलेज हाउस में ही रहे। हालांकि जांच कमेटी ने उनके इस तर्क को नियमसंगत नहीं माना है।

जांच कमेटी को नियुक्तियों में अनियमितता मिली

इसी तरह जांच कमेटी ने पाया कि तत्कालीन प्राचार्य डॉ. मर्विन मैसी ने कॉलेज में फिजिक्स और दूसरा प्राचीन इतिहास विभाग में दो नियुक्तियों में अनियमितता बरती। इन दोनों विभागों में 30 जून 2017 को कार्यरत शिक्षक रिटायर हो रहे थे, जबकि प्राचार्य ने इनके रिटायरमेंट से 40 दिन पहले 22 मई 2017 को दो नए शिक्षकों को नियुक्ति दे दी, जिन्हें 40 दिन तक 1,54,347 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। जांच कमेटी ने इस रकम की वसूली जिम्मेदार व्यक्ति से करने की संस्तुति की है।

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