दुनिया छोड़ गए गुदड़ी के लाल सुखदेव प्रसाद, हार्ट अटैक से हुआ सोमवार दोपहर निधन

प्रख्यात लेखक सोवियत लैंड नेहरु अवार्ड से सम्मानित सुखदेव प्रसाद ने दुनिया को अलविदा कह दिया। छोटा बघाड़ा स्थित निवास में सोमवार की दोपहर लगभग एक बजे उन्हें हार्ट अटैक पड़ा जिससे निधन हो गया। अंतिम संस्कार मंगलवार की सुबह 10 बजे रसूलाबाद घाट पर किया जाएगा।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 23 May 2022 11:42 PM (IST) Updated:Mon, 23 May 2022 11:57 PM (IST)
दुनिया छोड़ गए गुदड़ी के लाल सुखदेव प्रसाद, हार्ट अटैक से हुआ सोमवार दोपहर निधन
प्रख्यात लेखक सोवियत लैंड नेहरु अवार्ड से सम्मानित सुखदेव प्रसाद ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। हिंदी-विज्ञान के प्रख्यात लेखक सोवियत लैंड नेहरु अवार्ड से सम्मानित सुखदेव प्रसाद ने दुनिया को अलविदा कह दिया। छोटा बघाड़ा स्थित निवास में सोमवार की दोपहर लगभग एक बजे उन्हें हार्ट अटैक पड़ा, जिससे निधन हो गया। अंतिम संस्कार मंगलवार की सुबह 10 बजे रसूलाबाद घाट पर किया जाएगा। सुखदेव की देखरेख करने वाले डा. अभिषेक बताते हैं कि उन्हें किताबों से अत्यधिक लगाव था। कमरा किताबों से भरा था। किताबों के बीच रहने के कारण उन्हें गुदड़ी का लाल कहा जाता था।

बस्ती जनपद से पढ़ाई के लिए आए प्रयागराज और फिर यहीं गुजरा जीवन

24 अक्टूबर 1954 को बस्ती जिला के बांसी तहसील के अंतर्गत गोल्हरा गांव में जन्मे सुखदेव प्रसाद प्रयागराज पढ़ाई करने आए थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने वनस्पति विज्ञान में एमएससी तथा हिंदी, अर्थशास्त्र व प्राचीन इतिहास में एमए की डिग्री हासिल किया। इसके बाद स्वतंत्र लेखन में जुट गए। हिंदी व विज्ञान में पांच हजार से अधिक लेख लिखे, जिसका प्रकाशन प्रतिष्ठित समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में हुआ। लेखन प्रभावित न हो उसके लिए अविवाहित रहे। भाषाविज्ञानी आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय कहते हैं कि ये मेरी व्यक्तिगत क्षति है। सुखदेव प्रसाद हर सुख-दुख के साथी थे। उन्होंने हिंदी-विज्ञान के लिए जीवन समर्पित कर दिया था।

लिखी 150 से अधिक पुस्तकें

सुखदेव प्रसाद ने भारतीय विज्ञान कथाएं, विश्व विज्ञान कथाएं की 10-10 सीरीज लिखी। इसके अलावा वीमानन के सौ वर्ष, बड़ों की बातें सहित लगभग 150 पुस्तकें लिखी। विज्ञान वैचारिकी संस्था के जरिए विज्ञान की गतिविधियां संचालित करते थे। इनकी पत्रिका विज्ञान भारती व विज्ञान वैचारिकी पत्रिका अत्यंत लोकप्रिय थी। आचार्य पृथ्वीनाथ पांडेय के साथ पर्यावरण दर्शन मासिक पात्रिका भी निकालते थे।

मिला था ये सम्मान

सुखदेव प्रसाद को सोवियत लैंड नेहरु अवार्ड, हिंदी संस्थान का साहित्य महोपाध्याय सम्मान, आत्माराम पुरस्कार, जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान सम्मान, कौल्टिल्य सम्मान, सीबी रमन तकनीकी लेखन पुरस्कार सहित अनेक सम्मान प्राप्त हुए थे।

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