कृषि संग मधुमक्खी पालन से आर्थिक स्थिति में होगा सुधार Prayagraj news

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार प्रशिक्षण के महत्व और समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रवासी कामगारों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2020 09:06 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2020 09:06 PM (IST)
कृषि संग मधुमक्खी पालन से आर्थिक स्थिति में होगा सुधार Prayagraj news
कृषि संग मधुमक्खी पालन से आर्थिक स्थिति में होगा सुधार Prayagraj news

प्रयागराज, जेएनएन। पडोसी जनपद कौशांबी में कृषि विज्ञान केंद्र ने मंगलवार को विकास खंड नेवादा सभागार परिसर में प्रवासी मजदूरों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत तीन दिवसीय मौन पालन प्रशिक्षण का शुरू किया। कार्यक्रम की शुरुआत परियोजना निदेशक लक्ष्मण प्रसाद ने किया।

प्रवासी कामगारों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में दी जानकारी

कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख डॉ. अजय कुमार ने सबसे पहले कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए प्रवासी कामगार प्रशिक्षुओं की थर्मल स्‍क्रीनिंग कराकर उन्हें सैनिटाइजर और मास्क वितरण किया। परियोजना निदेशक लक्ष्मण प्रसाद ने शारीरिक दूरी अपनाते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार प्रशिक्षण के महत्व और समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रवासी कामगारों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने बताया कि प्रवासी कामगार प्रशिक्षण के बाद समन्वय स्थापित कर योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। केवीके के प्रमुख डॉ. अजय कुमार ने मौन पालन के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि यह एक कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित किया जा सकता है। यह फसलों के परागण में सहायक होकर फसल उत्पादकता को तो बढ़ता ही है साथ ही शहद से अतिरिक्त लाभ भी अर्जित किया जा सकता है। जनपद में फल, सब्जी का उत्पादन प्रमुख रूप से होता है।

कृषि के साथ एक महत्वपूर्ण सहायक व्यवसाय सिद्ध होगा

ऐसे में मधुमक्खी पालन कृषि के साथ एक महत्वपूर्ण सहायक व्यवसाय सिद्ध हो सकता है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को समूह गठन कर इस व्यवसाय को शुरू करने पर जोर देते हुए बताया कि यदि समूह के माध्यम से मौन पालन शुरू किया जाय तो भविष्य में इसकी ब्राडिंग की जा सकती है। यह व्यवसाय आय सृजन के साथ रोजगार सृजन में सहायक हो सकता है। डॉ. जितेंद्र प्रताप सिंह ने मौन पालन की तकनीकों पर बताया कि मधुमक्खियों की कई प्रजातियां पाई जाती है। केवीके वैज्ञानिक डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने प्रवासी प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि महामारी के रूप में आए इस संकट काल को अवसर में बदल कर आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। अपने गांव में ही रहकर व्यवसाय शुरू कर रोजगार का भी सृजन करने की जरूरत है। इस मौके पर बीडीओ विजय शंकर त्रिपाठी, प्रभारी कृषि रक्षा इकाई जेके सिंह मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी