Atiq Ahmed: उमेश पाल और दिनेश पासी की रंजिश भरी कहानी, अतीक के इशारों पर चल रहा था पूरा खेल

पुराने पार्षदों का कहना है कि वर्ष 2000 में निकाय चुनाव हुआ था। मगर इससे पहले दिनेश पासी अतीक के संपर्क में आया और फिर माफिया की बदौलत उसे सुलेम सराय वार्ड नंबर एक से पार्षद चुना गया था।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Thu, 30 Mar 2023 05:14 AM (IST) Updated:Thu, 30 Mar 2023 05:14 AM (IST)
Atiq Ahmed: उमेश पाल और दिनेश पासी की रंजिश भरी कहानी, अतीक के इशारों पर चल रहा था पूरा खेल
Atiq Ahmed: उमेश पाल और दिनेश पासी की रंजिश भरी कहानी, अतीक के इशारों पर चल रहा था पूरा खेल

प्रयागराज, ताराचंद्र गुप्ता। उमेश पाल अपहरणकांड में सश्रम आजीवन कारावास की सजा पाने वाले दिनेश पासी को कभी अतीक ने सपा से पार्षद का टिकट दिलवाया था। माफिया का संरक्षण मिलने के कारण वह धूमनगंज इलाके में खुद को प्रभावशाली मानने लगा था। वर्ष 2004 में दिनेश के पीसीओ में तोड़फोड़ और लूटपाट हुई थी, जिस पर उसने उमेश पाल सहित कई अन्य के खिलाफ धूमनगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था। इसके बाद दोनों में रंजिश शुरू हो गई थी।

बसपा से राजू पाल के विधायक बनने के बाद उमेश पाल की दोस्ती गहरी हो गई और फिर हत्याकांड के बाद अदावत बढ़ गई थी। राजू पाल हत्याकांड में दिनेश पासी को आरोपित बनाया गया और वह जमानत पर जेल से बाहर आ गया था। वर्ष 2006 में बच्चा पासी ने इसके बाद उसकी पत्नी ने दिनेश पासी को नगर निगम के चुनाव में हराया। अतीक के साथ सजा मिलने के कारण दिनेश पासी को लेकर भी लोगों के बीच चर्चा शुरू हो गई है।

पुराने पार्षदों का कहना है कि वर्ष 2000 में निकाय चुनाव हुआ था। मगर इससे पहले दिनेश पासी अतीक के संपर्क में आया और फिर माफिया की बदौलत उसे सुलेम सराय वार्ड नंबर एक से पार्षद चुना गया था। इससे पहले वह कैंट क्षेत्र के वार्ड नंबर तीन से सभासद हुआ करता था। सुलेम सराय से सभासद बनने के बाद दिनेश का नाम अतीक के साथ चर्चा में आने लगा था।

यह भी कहा जा रहा है कि 25 जनवरी 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या करने वाले आरोपित दिनेश की दुकान के पास ही खड़े होकर बातचीत करते थे। इसके बाद दिनेश के घर के करीब ही दिनदहाड़े राजू पाल को गोलियों से भून दिया गया था। सनसनीखेज हत्याकांड के बाद दिनेश का भी नाम प्रकाश में आया और उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, मगर बाद में जमानत पर बाहर आ गया था। उधर, उमेश पाल अपहरण केस के फैसले की कापी से पता चलता है कि दिनेश की पीसीओ की दुकान थी, जिसमें आगजनी व लूटपाट की घटना हुई थी।

सिपाही ने भी दिया था दिनेश के पक्ष में बयान अदालत में सिपाही ओम प्रकाश बघेल ने भी अभियुक्त दिनेश पासी के पक्ष में बयान दिया था। उमेश अपहरण केस में गवाह रहे ओम प्रकाश ने कहा कि वह वर्ष 1991 से लेकर 1998 तक पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर तैनात था। बहन का इलाज कराने के कारण वह ड्यूटी पर नहीं जा पाया, जिस कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया था।

राजू पाल से जान पहचान थी, लेकिन उसके सामने उमेश पाल का अपहरण नहीं हुआ था। इसी तरह सीट मेकर गुड्डू, हेलमेट विक्रेता बांके लाल समेत कई अन्य ने दिनेश के पक्ष में बयान देते हुए उमेश पाल पर पीसीओ में तोड़फोड़ का आरोप लगाया था।

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