Allahabad University शिक्षक संघ अध्यक्ष ने राष्ट्रपति को भेजा पत्र Prayagraj News

प्रो. खेत्रपाल का समर्थन करने वाले शिक्षकों का कहना है कि इविवि के अधिनियम में स्पष्ट है कि कोई कर्मचारी अथवा किसी कमेटी का सदस्य न होने वाले कमेटी में शामिल हो सकता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 10 Mar 2020 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 11 Mar 2020 09:50 AM (IST)
Allahabad University शिक्षक संघ अध्यक्ष ने राष्ट्रपति को भेजा पत्र Prayagraj News
Allahabad University शिक्षक संघ अध्यक्ष ने राष्ट्रपति को भेजा पत्र Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में स्थायी कुलपति की नियुक्ति के लिए गठित सर्च कमेटी के सदस्य प्रोफेसर सीएल खेत्रपाल को लेकर विवाद गहराता ही जा रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) के अध्यक्ष प्रोफेसर राम सेवक दुबे ने विजिटर यानी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सोमवार को पत्र लिखा है। उन्होंने 16 मार्च को प्रस्तावित कार्य परिषद की बैठक में प्रोफेसर सीएल खेत्रपाल का मनोनयन निरस्त करने की मांग की है।

सर्च कमेटी में प्रोफेसर खेत्रपाल के नाम को लेकर है विवाद

प्रोफेसर दुबे ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) रेगुलेशन 2018 का हवाला देते हुए विजिटर को भेजे गए पत्र में बताया कि कुलपति के रूप में प्रोफेसर खेत्रपाल की ओर से की गई अवैध नियुक्तियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से निरस्त किया जा चुका है। इसके अलावा कोर्ट ने प्रो. खेत्रपाल की कार्यप्रणाली के खिलाफ टिप्पणी करते हुए 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया था। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) 2018 की अधिसूचना का जिक्र करते हुए बताया कि कमेटी में शामिल सदस्य का मनोनयन विधि विरुद्ध है। वह अपने किए पर पर्दा डालने के लिए वर्तमान में भी इविवि की गतिविधियों से जुड़े रहना चाहते हैं।

शिक्षक दो गुटों में बंटे

आरोप लगाया कि यदि वह कमेटी में शामिल रहेंगे तो विवि के कुलपति का चयन निष्पक्ष नहीं हो सकेगा। ऐसे में उन्होंने राष्ट्रपति से 16 मार्च को प्रस्तावित कार्य परिषद की बैठक में मनोनयन निरस्त करने की मांग की है। वहीं, प्रो. खेत्रपाल का समर्थन करने वाले शिक्षकों का कहना है कि इविवि के अधिनियम में स्पष्ट है कि कोई कर्मचारी अथवा किसी कमेटी का सदस्य न होने वाले कमेटी में शामिल हो सकता है। प्रोफेसर खेत्रपाल इविवि के कर्मचारी हैं और न किसी कमेटी में शामिल हैं। ऐसे में उनको कमेटी में शामिल किया जाना कहीं से गलत नहीं है। इस संदर्भ में इविवि प्रशासन का कहना है कि यूजीसी के नियमानुसार ही प्रोफेसर खेत्रपाल का चयन हुआ है। फिलहाल इस प्रकरण के चलते इविवि में नया विवाद जरूर पनप गया है।

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