Allahabad University Family की गुहार पर मां के हाथ की रोटी और सत्तू खोज लाई दिल्ली मेट्रो पुलिस

Allahabad University Family अंकित ने फौरन दिल्ली पुलिस के डीसीपी जितेंद्र मणि त्रिपाठी का मोबाइल नंबर दिया। ऋषव ने उन्हें मैसेज से बताया कि मां के हाथ की बनी रोटी और कुछ पकवान से भरा बैग मेट्रो में छूट गया है। आप इसको हासिल करवा दें तो बड़ी मेहरबानी होगी।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 03:33 PM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 06:41 PM (IST)
Allahabad University Family की गुहार पर मां के हाथ की रोटी और सत्तू खोज लाई दिल्ली मेट्रो पुलिस
आखिरकार स्पेशल स्टाफ और कंट्रोल रूम ने बैग द्वारका मेट्रो स्टेशन से खोज निकाला।

प्रयागराज,[गुरुदीप त्रिपाठी]। तुम क्या सिखाओगे मुझे, प्यार करने का सलीका। मैंने मां के एक हाथ से थप्पड़ और दूसरे से रोटी खाई है...। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के पुरा छात्र ऋषव उज्जैन दस महीने के लंबे इंतजार बाद मां के हाथ की बनी रोटी मेट्रो में भूल गए। इस पर वह इतना परेशान हो गए कि उन्होंने दिल्ली पुलिस के डीसीपी जितेंद्र मणि त्रिपाठी से गुहार लगाई।   

दोस्‍त लेकर आया था मां के हाथ की बनी रोटी: मूलरूप से बिहार के छपरा स्थित हॉस्पिटल चौक के ऋषव ने इविवि से वर्ष 2020 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद साकेत में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है। वह तकरीबन आठ महीने से घर नहीं गया था। इसी बीच लक्ष्मी नगर में रहने वाला उनका दोस्त हर्ष सिन्हा छपरा से दिल्ली आ रहा था। ऋषव की मां ने अपने हाथ से रोटी के अलावा गुझिया और सत्तू समेत अन्य खाद्य सामग्री भेजी। गत शुक्रवार को ऋषव दोस्त से बैग लेकर लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन से साकेत के लिए निकला।  

मेट्राे स्‍‍‍‍‍‍टेशन पर भूल गए बैग : राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर ऋषव ने दूसरी मेट्रो पकड़ी तो उसे पता चला कि उसका बैग द्वारका वाली मेट्रो में ही छूट गया। घंटों प्रयास के बाद सफलता नहीं मिलने पर ऋषव ने इविवि के पुरा छात्र अंकित द्विवेदी से मदद मांगी। 

दोस्‍त ने दी डीसीपी से मदद की गुहार लगाने की सलााह : अंकित ने फौरन दिल्ली पुलिस के डीसीपी जितेंद्र मणि त्रिपाठी का मोबाइल नंबर दिया। ऋषव ने उन्हें मैसेज से बताया कि  मां के हाथ की बनी रोटी और कुछ पकवान से भरा बैग मेट्रो में छूट गया है। आप इसको हासिल करवा दें तो बड़ी मेहरबानी होगी। आखिरकार स्पेशल स्टाफ और कंट्रोल रूम ने बैग द्वारका मेट्रो स्टेशन से खोज निकाला। 

इविवि के पुरा छात्र हैं जितेंद्र: मूलरूप से गोरखपुर के बड़हलगंज के रहने वाले जितेंद्र ने वर्ष 1993 में इविवि से स्नातक और 1995 में परास्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। वह अपनी पत्नी को कैंसर की बीमारी से खो चुके हैं। पत्नी की याद में 'कहीं तो हंसी होगी' नाम से एक किताब भी लिख चुके हैं। इस किताब की बिक्री से मिले पैसे का एक हिस्सा एम्स में कैंसर का इलाज कराने आए दूर-दराज के मरीजों पर खर्च करते हैं। जितेंद्र दिल्ली पुलिस के सातवीं बटालियन के डीसीपी भी रह चुके हैं। वर्तमान में दिल्ली मेट्रो में डीसीपी हैं।

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