इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटों की अपील खारीज कर वृद्ध मां को भरण पोषण देने का आदेश दिया

कोर्ट ने कहा- अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिनियम 2007 में वर्णित प्रावधान के तहत केवल अभिभावक या वरिष्ठ नागरिक ही पीड़ित होने की दशा में 60 दिन में अपील दाखिल कर सकते हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 25 Apr 2019 10:40 PM (IST) Updated:Thu, 25 Apr 2019 10:40 PM (IST)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटों की अपील खारीज कर वृद्ध मां को भरण पोषण देने का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटों की अपील खारीज कर वृद्ध मां को भरण पोषण देने का आदेश दिया

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वृद्ध मां के भरण पोषण पर हुए आदेश के खिलाफ दाखिल अपील खारिज करते हुए पीड़ित को भरण पोषण राशि भुगतान करवाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिनियम 2007 में वर्णित प्रावधान के तहत केवल अभिभावक या वरिष्ठ नागरिक ही पीड़ित होने की दशा में 60 दिन में अपील दाखिल कर सकते हैं।

यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्त व न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने प्रयागराज के हीवेट रोड निवासी शकुंतला देवी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने प्रयागराज के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि अधिनियम की धारा 11 के तहत 30 दिन में याची को भरण पोषण राशि का भुगतान करवाएं। पुरुषोत्तम लाल की विधवा शकुंतला देवी ने अपने पुत्रगण डॉ कृष्ण कुमार केसरवानी और विजय कुमार के विरुद्ध भरण पोषण के लिए 2017 में वाद दाखिल किया था। इस वाद पर 16 अप्रैल, 2018 को आदेश हुआ जिसमें याची के लिए भरण पोषण राशि 9000 रुपये प्रतिमाह स्वीकृत करते हुए आदेश पारित हुआ। इस आदेश के विरुद्ध याची के पुत्रों ने जिलाधिकारी के समक्ष अपील दाखिल की। अपील लंबित हुई तो शकुंतला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने इस पर स्थायी अधिवक्ता से जानकारी मांगी।

स्थायी अधिवक्ता ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि अपील लंबित रहने के दौरान भरण पोषण के आदेश का क्रियान्वयन नहीं हो सकता, जबकि याची के अधिवक्ता पंकज कुमार गुप्ता का कहना था कि धारा 16 भरण पोषण और अभिभावक व वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिनियम 2007 में यह व्यवस्था दी गई है कि केवल अभिभावक या वरिष्ठ नागरिक ही पीडि़त होने की दशा में 60 दिन के भीतर अपील दाखिल कर सकते हैं। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए याची के पुत्रगण की अपील खारिज कर दी।

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