'आज भी छटपटा रहे महिलाओं के अधिकार'

By Edited By: Publish:Sat, 06 Oct 2012 07:15 PM (IST) Updated:Sat, 06 Oct 2012 07:16 PM (IST)
'आज भी छटपटा रहे महिलाओं के अधिकार'

वरिष्ठ संवाददाता, इलाहाबाद : देश में महिलाओं के हक में तमाम कानून दिखाई पड़ते हैं, बावजूद इसके महिलाओं की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। वे कौन-सी वजहें हैं, जो महिलाओं को उनका समुचित हक और इंसाफ दिलाने में बाधाएं खड़ी करती हैं? क्या हमारे देश के कानून की संरचना में ही कुछ कमी है, जो महिलाओं को उनका हक नहीं मिल पाता? इन्हीं बिंदुओं पर मंथन के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शनिवार को 'महिला और कानून, एक कानूनी अंतदर्ृष्टि' विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार वीवी चेतले की स्मृति में आयोजित किया गया, जिसमें उच्चतम न्यायालय और देश के उच्च न्यायालयों के कई न्यायाधीशों ने भाग लिया।

एआइआर लॉ एकेडमी नागपुर और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सीनेट हॉल में आयोजित सेमिनार का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीएस चौहान ने किया। सेमिनार में उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए एआइआर एकेडमी नागपुर के डायरेक्टर सुमंत चेतले ने कहा कि शैक्षिक समाज ही अच्छा समाज होता है और अच्छे समाज से ही अच्छा देश बनता है। सेमिनार के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि एक तरफ महिलाएं रोज नई ऊंचाइयां छू रही हैं, दूसरी तरफ उन्हें रोज नई-नई सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने पूर्वाग्रह, अंधविश्वास से मुक्ति के बारे में प्रकाश डाला। कहा कि केंद्र के साथ ही साथ राज्यों को भी साक्षरता उन्मूलन में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में वर्तमान समय में महिलाएं प्रगति के पथ पर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जमीन से लेकर आसमान तक अपनी सफलता की कहानी लिख रही हैं। यह स्थिति हमारे समाज में बदलाव का सबसे बड़ा प्रमाण है। इसके बाद भी देश में महिला शिक्षा की स्थिति कमजोर है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं आज भी अत्याचार शोषण और रुढि़वादी परम्पराओं में जकड़ी हुई हैं। प्रो. ए. लक्ष्मीनाथ ने कहा कि भारतीय संविधान में महिलाओं की सुरक्षा के लिए अनेक प्रकार के कानून बने है किंतु महिला उत्पीड़न और उसमें बने आरोपी की स्थिति को देखते हुए लगता है कि यह कानून उतने कारगर नहीं है जितने समझे जाते हैं। उन्होंने कहा कि बिना प्रैक्टिस के थ्योरी बेकार और बिना थ्योरी के प्रैक्टिस बेकार होती है।

सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीएस चौहान, इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक भूषण, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट पद्मभूषण पीपी राव, वरिष्ठ अधिवक्ता भरतजी अग्रवाल, प्रो ए लक्ष्मीनाथ कुलपति, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, इविवि के कुलपति प्रो. एके सिंह, इविवि लॉ के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रो. राकेश खन्ना, लीगल सेल के इंचार्ज प्रो. बीपी सिंह, डीन फैकल्टी ऑफ लॉ प्रो. एलएम सिंह आदि मौजूद रहे।

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