इतिहासकार प्रो इरफान हबीब ने कहा : यह सही है कि कुतुबमीनार परिसर में 28 मंदिरों के अवशेष मिल चुके हैं

पूरे देश में इन दिनों ज्ञान वापी मस्‍जिद का मुद्दा छाया हुआ है। मामला कोर्ट में भी पहुंच चुका है। इन सबके बीच प्रख्‍यात इतिहासकार और अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय के एमरेटस प्रो इरफान हबीब ने मामले में विस्‍तार से बातचीत की।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Thu, 26 May 2022 08:07 AM (IST) Updated:Thu, 26 May 2022 08:08 AM (IST)
इतिहासकार प्रो इरफान हबीब ने कहा : यह सही है कि कुतुबमीनार परिसर में 28 मंदिरों के अवशेष मिल चुके हैं
प्रख्यात इतिहासकार और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एमरेटस प्रो. इरफान हबीब।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। भारतीय इतिहास के जिस किरदार पर आज सबसे अधिक अंगुली उठ रही है, वह है औरंगजेब। उसके शासनकाल में मंदिरों को ध्वस्त करने का पूरा इतिहास भरा पड़ा है। उसने मथुरा और काशी के दो मंदिरों को ध्वस्त किया था। कुतुबमीनार परिसर में भी 28 मंदिरों के अवशेष मिल चुके हैं। प्रख्यात इतिहासकार और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एमरेटस प्रो. इरफान हबीब से दैनिक जागरण, अलीगढ़ के डिप्टी चीफ रिपोर्टर संतोष शर्मा ने मंदिर-मस्जिद के ताजा विवादों पर लंबी बात की। पेश हैं प्रमुख अंश...

-अभी तक अयोध्या, मथुरा, काशी का मामला ही था, लेकिन अब तो तमाम स्थानों पर विवाद उठ रहे हैं। इसे कैसे देखते हैं?

-आरएसएस और भाजपा ने हमेशा ही नए-नए मुद्दों को उठाया। वे पहले से ही कहते आए हैं कि अयोध्या के बाद दूसरे मुद्दों को उठाएंगे। अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनकी और मदद की। ये तो सभी को पता है कि बनारस और मथुरा में मंदिर तोड़े थे, लेकिन अयोध्या में इसका जिक्र नहीं मिलता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी कहा था कि हम तय नहीं कर सकते, आपस में बांट लें।

-औरंगजेब ने काशी और मथुरा के मंदिर तोड़े और वहां मस्जिदें बनवाईं यह इतिहास में दर्ज है तो इसे स्वीकारने में संकोच क्यों?

-औरंगजेब ने मथुरा और काशी में दो मंदिर तोड़े थे, लेकिन वृंदावन के मंदिरों को अकबर के जमाने में वर्ष 1565 से जो सरकारी ग्रांट मिलती आई थी, वो बंद नहीं की गई। लिहाजा, मंदिर को तोडऩा एक अलग बात है। औरंगेजब के समय में तो ज्यादती मिलती है, लेकिन दूसरे मुस्लिम अन्य शासक में नहीं।

-श्रीकृष्ण जन्मस्थान की मूर्तियों को मस्जिद में दबाने की बात आती है, आप कितने सहमत हैं?

-मथुरा में केशवराय (कृष्ण) मंदिर का निर्माण 1627 में वीर ङ्क्षसह बुंदेला ने कराया था। मंदिर इतना विशाल था कि शाहजहां के आफीसर शेख फरीद भकरी ने वर्ष 1650 में प्रकाशित अपनी पुस्तक में लिखा कि ये मंदिर कयामत तक रहेगा। मगर, 1670 में ही औरंगजेब ने इसे तोड़ दिया। मंदिर की मूर्तियों को शाहजहां की बेटी जहांआरा की आगरा में बनी मस्जिद के जीने में लगवा दिया। शाकी मुस्तैद खां की पुस्तक मासे आलमगीरी में इसका जिक्र है।

-क्या यह मंदिर कृष्ण जन्मभूमि पर था?

-कृष्ण जन्मभूमि तो अब कहा जा रहा है। केशवराय जी का मतलब ही कृष्ण जी था। कृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर था, ये बनावटी बातें हैं।

-जहांआरा मस्जिद में क्या मूर्तियां दिखती हैं?

-मैं तो वहां नमाज पढऩे गया नहीं, इसलिए कह नहीं सकता कि अब वो हैं या नहीं।

-औरंगजेब मंदिरों को तोड़कर क्या संदेश देना चाहता था? क्या तब मस्जिदों की कमी थी?

-भाजपा वाले क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या आज मंदिरों की कमी है? आप सिर्फ अपने जमाने को देख रहे हैं। औरंगजेब को क्या कहेंगे आप?

-मंदिरों पर हमले हुए। उन्हें तोड़ा गया। आज अगर ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा जा रहा है तो सवाल क्यों उठ रहे हैं?

-सवाल उठ नहीं रहे, उठाए जा रहे हैं। वैसे, गलतियों को सुधारने का कोई रिकार्ड नहीं है। नेशनल आर्काइव में जिक्र है कि 1598 में अकबर ने देशभर में मंदिरों को जमीन दी। यह क्रम 1565 से पहले शुरू हुआ था।

-ज्ञानवापी में मंदिर के अवशेष मिले हैं। मामला कोर्ट में है। आपकी राय?

-मुझे इसकी जानकारी नहीं है। हो सकता है मस्जिदों में हिंदू मंदिरों से जुड़े कुछ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया हो। बहुत से बुद्ध विहारों के पत्थर मंदिरों में इस्तेमाल हुए तो क्या मंदिरों को तोड़ दिया जाए?

-हमने पढ़ा है कि कुतुबमीनार का निर्माण कुतबुद्दीन ऐबक ने कराया था, जबकि उसके वराहमिहिर की वेधशाला होने की बात आ रही है। वैसे वहां पूजा की अनुमति पर नौ जून को निर्णय आना है, लेकिन गलत इतिहास क्यों पढ़ाया जा रहा है?

-क्या गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है? 1200 ईस्वी के करीब कुतबुद्दीन ने इसे बनाना शुरू किया। इल्तुतमिश ने पूरा कराया। बिजली गिरने से कुतुबमीनार की ऊपरी दो मंजिल क्षतिग्रस्त हो गई थीं, जिसे फिरोजशाह तुगलक ने बनवाईं थीं। वहां कभी पूजा नहीं हुई। यह सही है कि कुतुबमीनार परिसर में 28 मंदिरों के अवशेष मिल चुके हैं, लेकिन यह सही नहीं है कि वहां 28 मंदिर ही थे।

-क्या ताजमहल भी मंदिर की जमीन पर बना है?

-वहां मंदिर नहीं, महल हुआ करता था। ताजमहल की जमीन शाहजहां ने महाराजा जय ङ्क्षसह से ली थी। बदले में उन्हें जमीन भी दी थी।

-देश का सद्भाव बना रहे और ये मसले भी हल हो जाएं , इसके लिए क्या होना चाहिए?

-कोई मसला ही नहीं है। सब बेकार की बातें हैं। ज्ञानवापी में किसी ने नहीं कहा था कि वहां शिवङ्क्षलग है और हम पूजा करना चाहते हैं।

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