कभी लैला मजनू नाटक को देखने उमड़ी थी भीड़ Aligarh news

मशहूर फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर भले ही हमारे बीच में नहीं हैैं लेकिन उनका अभिनय आज भी ङ्क्षजदा है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Publish:Fri, 29 May 2020 11:32 AM (IST) Updated:Fri, 29 May 2020 04:50 PM (IST)
कभी  लैला मजनू नाटक को  देखने उमड़ी थी भीड़ Aligarh news
कभी लैला मजनू नाटक को देखने उमड़ी थी भीड़ Aligarh news

अलीगढ़, अलीगढ़ : मशहूर फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर भले ही हमारे बीच में नहीं हैैं, लेकिन उनका अभिनय आज भी ङ्क्षजदा है। रंगमंच के बेहतर कलाकार रहे पृथ्वीराज कपूर का अलीगढ़ से गहरा नाता रहा। यहां कई बार आए और अपने अभिनय से लोगों का दिल जीता। उन्हें देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता था। पृथ्वीराज कपूर ने 29 मई 1972 को दुनिया को अलविदा कहा। 

1937 में पहली बार आए थे प्रथ्‍वीराज

तस्वीर महल थियेटर के मालिक अजीज ख्वाजा का नाटकों से बेहद लगाव था। उनके बुलावे पर 1937 में पहली बार पृथ्वीराज कपूर अलीगढ़ आए। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में कल्चरल एजुकेशन सेंटर के डायरेक्टर रहे प्रो. एफएस शीरानी के अनुसार तस्वीर महल के मंच पर उन्होंने लैला मजनू न रुस्तम ए सोहराब नाटक का मंचन किया था, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। तस्वीर महल अब बंद हो गया है। इसके बाद 1941 में भी 16 लोगों के ग्रुप के साथ अलीगढ़ आए और सुल्तान डाकू नाटक का मंचन किया। 1953 में आगरा में मुगल-ए-आजम फिल्म की शूङ्क्षटग चल रही थी। फिल्म के डायरेक्टर के आसिफ एएमयू के छात्र थे। उनके साथ पृथ्वीराज कपूर एएमयू आए थे। यहां उन्होंने सर सैयद की मजार पर चादरपोशी की। प्रो. शीरानी के अनुसार ख्वाजा अहमद अब्बास भी अलीगढ़ के थे, जिन्होंने मेरा नाम जोकर फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी।  

आंखों की कराई थी जांच 

आगरा में मुगल-ए-आजम की शूटिंग लंबे समय तक चली। इस दौरान अपनी आंखों को चेक कराने के लिए पृथ्वीराज कपूर 10 फरवरी 1955 को गांधी आई हॉस्पिटल आए। हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक मधुप लहरी के अनुसार यहां की सेवाओं से वे प्रभावित हुए। विजिटर बुक में आज भी उनका हस्तलिखित पत्र मय हस्ताक्षर के मौजूद है। यह उनका आखिरी अलीगढ़ दौरा था।

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